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लॉकडाउन में पिस रहा मध्यम वर्ग, राहत पैकेज की मांग

 

अजमेर। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की लंबी अवधि के बीच से सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यमवर्गीय व निम्नमध्यमवर्गीय परिवारों की बिगडती स्थिति को लेकर इस वर्ग के लिए भी राहत पैकेज की घोषणा किए जाने की मांग अब जोर पकडने लगी है।

अजमेर शहर जिला कांग्रेस सेवादल के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद शैलेन्द्र अग्रवाल ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को इस बाबत पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि लॉकडाउन के चलते लगभग 45 दिन होने को आए, पूरा देश घरों में बन्द है, काम काज पूरी तरह लॉकडाउन हो चुके हैं, छोटे से लेकर बड़े दुकानदार सभी का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। लॉकडाउन की यह स्थिति आगे भी जारी रहने की पूरी संभावना है, यदि ऐसा होता है जिसकी पूरी संभावना है तो स्थिति और विकट हो जाएगी।

अग्रवाल ने लिखा है कि सरकार द्वारा पिछड़े और निम्न वर्ग के लिए बेहतरीन प्रयास किये जा रहे है इसमे कोई संशय नही, जिसके चलते सभी चयनित परिवारों को भोजन, राशन, मुफ्त खाद्यान्न, 3 गैस सिलेंडर, नकद राशि सहित अनेक प्रकार की सहायता ओर भामाशाहो द्वारा भी अपने स्तर पर निम्न तबके को ओर जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

अब सवाल यह है कि BPL, गरीब, असहाय, ओर अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ तो केवल कुछ सीमित लोगो को जो इस दायरे में आते है उनको ही मिल रहा है, लेकिन एक बड़ा तबका जो कि देश की नींव है और सबसे ज्यादा देश की इकोनॉमी को वही चलाता है क्योंकि उसका संपर्क आम लोगो से सीधा होता है, उसे हम मिडिल क्लास के नाम से जानते है, ओर उस मिडिल क्लास से सभी को अपेक्षाए भी बहुत ज्यादा रहती है और इसी कारण सबसे ज्यादा वही पिसा भी जाता है।

इन सबके बावजूद भी किसी का ध्यान उनकी तरफ नहीं जाता है, यह मिडिल क्लास तबका जिसकी अपने व्यापार व परिवार के संचालन की उधेड़ बुन के बीच उसका दिन का चैन ओर रात की नींद उड़ी रहती है, टेक्स भरना, आयकर भरना, मकान दुकान का किराया भरना, स्कूल फीस की चिंता, परिवार में माता पिता भाई बहनों की चिंता आदि आदि पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ भी इसी तबके पर ही ज्यादा पड़ता है, उसके बावजूद भी सरकार की तरफ से उसे हमेशा से ही उपेक्षित रखा गया है, उसे केवल टेक्स पेयर मशीन समझा गया है, ओर इसी कारण उसको किसी प्रकार की राहत नही दी जाती है।

आज जब कोरोना महामारी के समय लॉकडाउन के चलते यदि सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा है तो वो केवल ओर केवल मिडिल क्लास पर पड़ा है और वही सबसे ज्यादा प्रभावित भी हुवा है, व्यापार बन्द, लॉक डाउन के चलते स्टॉक खराब होने की चिंता, उधार का पैसा पूरी तरह ब्लॉक हो चुका है, लॉक डाउन के बाद खुलने पर कितना उधार वसूल हो पाता है कोई गारंटी नही, स्टाफ की सेलेरी बिना कार्य के देनी है, सरकारी आदेश है, ऊपर से उस स्टाफ को दिया हुवा एडवांस भी वापस आ जाए उनमें भी संशय है।

बिजली पानी का बिल हर हाल में जमा कराना है, घर और दुकान का किराया भी देना है जो कि आज बहुत ज्यादा है, बैंक लोन की किश्त देनी है, उसका ब्याज देना है, हाउसिंग लोन, वाहन लोन की किश्त भी चुकानी है, बच्चो की स्कूल फीस, कालेज फीस, उसके हॉस्टल का खर्चा, एजुकेशन लोन का भार, खाने पीने, रसोई गैस, अपने दोपहिया के लिए पेट्रोल, बुजुर्ग माता पिता की दवाइयां व अन्य खर्चे, बहन भाई, बेटी बेटे की शादियों की जिम्मेदारी भी इन मिडिल क्लास के मुखिया के कंधे पर ही होती है।

अधिकांश मिडिल क्लास परिवारों में एक कमाने वाला और 5 से 8 खाने वाले होते है ओर उन सबके बावजूद आज लॉकडाउन के चलते आमदनी जीरो है। उसकी जमा पूंजी भी कोई ज्यादा नही होती है और जो थोड़ी बहुत थी वह धीरे धीरे पूरी होने के कगार पर पहुंच रही है। अब ऐसे में उसकी मानसिक स्थिति के क्या हालात हो रहे होंगे, उसकी कल्पना सरकार नही लगा रही है। उसको रात भर नींद नही आती होगी, अपने ओर अपने परिवार और व्यापार का भविष्य में क्या होगा उसकी कल्पना मात्र से ही उसकी नींद उड़ी हुई है।

शैलेन्द्र अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि ऐसे में सरकार से यह निबेदन करना चाहता हूं की निम्न ओर जरूरत मंदो की व्यवस्था सरकार द्वारा कर ली गई है, अब एक नजर मध्यम व निम्नमध्यमवर्गीय वालों की समस्या पर भी डाले, क्योकि उसकी आमदनी पिछले 40-45 दिनों से जीरो हो चुकी है व उनके घर खर्च लगातार बदस्तूर जारी है जो कि अब उसकी जेब पर भी भारी पड़ने लगे गए है।

अग्रवाल ने मांग की है कि सरकार को इस मिडिल क्लास सोसायटी की समस्याओं की तरफ ध्यान देकर उनके लिए भी तात्कालिक राहत के रूप में आर्थिक पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए।

यह सहायता इसलिए भी जरूरी है कि सरकार की तरफ से जारी किसी भी योजना में इस वर्ग के लोगों का नाम नहीं है, इस कारण उसको कोई सहायता भी नही मिल पाती। पत्र में लिखा है कि अगर मिडिल क्लास के लोगों की इस मानसिक वेदना का सटीक आकलन नहीं किया गया तो मिडिल क्लास के लोग बहुत जल्द डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। अग्रवाल ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस समस्या पर तुरन्त विचार कर इसका समाधान करें।

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