अजमेर के वयोवृद्ध समाजसेवी प्रेमराज सरावगी की रचना जो पुष्कर से प्रकाशित नामदेव संदेश पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने इसे ‘नामदेव न्यूज डॉट कॉम’ के पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है। सम्मेलन रो ब्याव देखने आया कर-कर चाव । अस्यो ओ सम्मेलन रो ब्याव ।। कामणयां निकली कर …
Read More »जब पेड़ है एक तो फिर शाखाएं क्यूं रहें दूर-दूर
अजमेर। एक पिता की चार संतानें। चारों अलग-अलग हुईं। वक्त बीतता चला गया…आपस में मेलजोल बढऩे की बजाय वे और दूर होते गए। तब आज की तरह ना तो आवागमन के पर्याप्त साधन थे और ना ही संचार के। इसलिए यह दूरियां और बढ़ गईं लेकिन अब ऐसा नहीं है। …
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