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मर्दों की शेव बनाती है यह महिला, बनी देश की पहली महिला नाई

मुंबई। भारत में अक्सर हमें सैलून पर आदमी ही हजामत करते नजर आते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के एक गांव में एक महिला को मर्दो की शेविंग यानी हजामत करते देख आप चौंक उठेंगे। जी हां, शांता बाई नामक यह महिला उतनी ही कुशलतापूर्वक उस्तरे से शेव बनाती है, जितना कोई मर्द। अपने हालात, जरूरत और इच्छाशक्ति ने उसे देश के8 पहली महिला नाई बना दिया है।

शांता बाई ने यह काम चार बेटियों को पालने के लिए शुरू किया है और अब कहती हैं कि अब ये सिर्फ उस्तरा नहीं, मेरी आजादी का प्रतीक है। उनकी इसी हिम्मत और लगन के चलते उन्हें पुरस्कार भी मिल चुका है।

पति के मौत के बाद टूट परेशानियों का पहाड़

12 साल की उम्र में शांता बाई कि शादी श्रीपति यादव से हुई, जो कि नाई का काम किया करते थे। साथ ही नाई के अलावा खेती भी किया करते थे, श्रीपति की काम के प्रति लगन देखकर हसुरसासगिरी गांव के सभापति हरिभाऊ कदुकर ने उसे परिवार समेत अपने यहां बुला लिया।

इस गांव में एक भी नाई नहीं होने से श्रीपति की अच्छी कमाई होने लगी, लेकिन धीरे-धीरे परिवार और खर्च बढ़ते गए। 1984 में हार्ट अटैक से श्रीपति की मौत हो गई। इसके बाद शांताबाई के सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई। गरीबी और तंगहाली से परेशान होकर एक बार तो शांताबाई ने बेटियों के साथ जहर खाने का फैसला कर लिया, लेकिन अंत में शांता ने हार न मानकर उस्तरा थाम कर नाई का काम शुरू कर दिया।

इतना ही नहीं शांता ने 50 रु पर मजदूरी भी की। गांव की होकर एक विधवा अगर नाई का काम करे तो आप समझ सकते हैं कि यह कितना चुनौतीपुर्ण रहा होगा। शांता बाई का कहती है कि मैं नहीं सोचती कि लोग मेरे काम को लेकर क्या बोलते हैं, या क्या सोचते हैं। मैं बस अपना काम करूंगी और करती रहूंगी।

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