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राष्ट्रपति बोले, पुरस्कारों का सम्मान करना चाहिए

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार पर असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए  पुरस्कार लौटाने की गहमागहमी के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपना मत प्रकट किया है। सोमवार को राजधानी में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिन लोगों को देश की तरफ से प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलते हैं, उन्हें इन पुरस्कारों का सम्मान करना चाहिए।

कई बार कुछ संवेदनशील लोग समाज में घटने वाली घटनाओं से व्याकुल हो जाते हैं, ऐसे हालातों में अपनी अभिव्यक्ति को संतुलित करके चलने की जरूरत है। किसी भी मामले को भावुक होकर नहीं बल्कि बातचीत के साथ सुलझाना चाहिए। असहमति को बहस और चर्चा का माध्यम से प्रकट किया जाना चाहिए।
मुखर्जी ने कहा कि जब भी देश में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई है, तो हमने उसे खुद ही सुलझाया है। हम सभी को भारतीय होने के साथ-साथ अपने देश की सभ्यता, संस्कृति और संविधान पर भी गर्व होना चाहिए।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि विचारों की अभिव्यक्ति के लिए इस साल कार्टून का सबसे ज्यादा प्रयोग किया गया। इस क्षेत्र के दो दिग्गज कार्टूनिस्ट आर.के लक्ष्मण और राजिंदर पुरी को सामाजिक आलोचना, सार्वजनिक जवाबदेही और कार्टूनिंग में उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पुरस्कार प्रतिभा, योग्यता और मेहनत की सार्वजनिक मान्यता है। जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। किसी भी विचार-विमर्श के दौरान अपना मत रखने का अधिकार हर व्यक्ति के पास है। लेकिन इस दौरान भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने प्रेस परिषद के तरफ से मिले राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए सभी पत्रकारों और नए फोटोग्राफरों को बधाई दी।

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