Breaking News
Home / मेरी रचना / मौत की यह है सच्‍चाई

मौत की यह है सच्‍चाई

death
किसी नगर में एक धनवान व्यक्ति रहता था। वह बड़ा विलासी प्रकृति का था। उसके मन में हमेशा भोग-विलास के विचार चलते रहते थे। एक दिन संयोग से किसी संत से उसका संपर्क हुआ। वह संत से अपने भोगी और अशुभ विचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगा।

संत ने उसका हाथ देखते हुए कहा कि विचारों से मैं तुम्हें मुक्ति दिला देता पर तुम्हारे पास समय बहुत कम है। आज से एक माह के बाद तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। इतने कम समय में तुम्हारे कुत्सित विचारों से मैं तुम्हे निजात कैसे दिला सकता हूं और फिर तुम्हें भी तो तुम्हारी तैयारियां करनी होंगी?

भोगी व्यक्ति चिंता में पड़ गया। फिर भी सोचने लगा कि चलो अच्छा है, समय रहते पता तो चल गया। इस दौरान वह घर और व्यवसाय को व्यवस्थित और नियोजित करने में लग गया। परलोक के लिए गुण अर्जन की योजनाएं बनाने लगा। सभी से अच्छा व्यवहार करने लग गया।
जब एक दिन बचा तो उसने सोचा कि चलो एक बार संत के दर्शन को कर लिए जाएं ताकि शांति से आंखें मूंद सकूं। संत ने उसे आते देखकर पूछा कि बड़े शांत नजर आ रहे हो, क्या बात है? कोई नई विलासयुक्त योजना नहीं बनाई? व्यक्ति बोला, अब अंतिम समय में जब मृत्यु समक्ष हो तो भोग विलास कैसा?

संत हंस दिए और बोले, वत्स, चिंता मत करो और भोग विलास से दूर रहने का एकमात्र उपाय यही है कि मृत्यु को सदैव याद रखो, मृत्यु निश्चित है। यह विचार सदैव सन्मुख रखना चाहिए और उसी के अनुसार प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए।

Check Also

करो आरती नामदेव जी की…

  भजन-आरती करो आरती नामदेव जी की, होगा उद्धार हमारा तुम्हारा ! करो प्रतिज्ञा घर-घर …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *