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गंगाजल से शिव अभिषेक का जानिए महत्व, हरिद्वार में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का रैला

 


नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। सावन सोमवार पर भगवान शंकर का गंगाजल से अभिषेक करने के लिए हरिद्वार में देशभर से कावड़िये पहुंच रहे हैं। इसके चलते वहां भक्तों का मेला लगा है। गंगाजी के शीतल-निर्मल-पवित्र पानी मे डुबकी लगाने के साथ ही कावड़ में जल भरकर लाने का सिलसिला जारी है।

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इसके अलावा देशभर से श्रद्धालु गंगाजी में डुबकी लगाने यहां पहुंच रहे हैं। घाट कावड़ियों से अटे हुए हैं।

हर की पौड़ी पर विशेष इंतजाम

श्री गंगा ट्रस्ट और हरिद्वार नगर निगम की ओर से श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा के लिए कई इंतजाम किए गए हैं। घाटों पर सुरक्षा चैनें बांधी गई हैं, जिन्हें पकड़कर श्रद्धालु बहती गंगा में निडर होकर डुबकी लगा सकते हैं।

गंगा माता-मनसा देवी के दर्शन

गंगा स्नान के बाद हर की पौड़ी पर ही भक्त गंगा मन्दिर में माता के दर्शन कर पुण्य हासिल कर रहे हैं। साथ ही मनसा देवी के भी दर्शन करने की होड़ मची है।


72 फुट ऊंची शिव प्रतिमा के दर्शन

हर की पौड़ी के सामने ही स्थापित 72 फुट ऊंची आदिदेव शंकर की प्रतिमा साक्षात भक्तों को आशीर्वाद देती है।

रुद्राभिषेक का फल


गंगाजल की धारा शिवलिंग पर चढाने से भोग-मोक्ष दोनों फलों को देने वाली कही गई है और गंगाजल की धारा भगवान शिवशंकर को सर्व प्रिय है। रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-

– जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
– असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
– भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
– धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
– तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
– पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
– रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
– ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
– सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
– प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
– शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
– सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
– शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
– पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
– गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
– पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
विशेष :
यजुर्वेद में बताई गई विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभप्रद माना गया हैं। लेकिन जो व्यक्ति इस पूर्ण विधि-विधान से पूजन को करने में असमर्थ हैं अथवा इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान सदाशिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक तथा शिव-पूजन कर सकते हैं।

 

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