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सम्मोहन की वो काली रात और काले कृष्ण का अवतरण

मन को मोह लेने वाली आधी रात को जब रात की रानी महकने लगती हैं तब विषैला सांप भी अपनी सुधबुध गंवा कर उसके मोहजाल में मस्त हो जाता है और अपने फुफकारने का फन भी भूल जाता है।

उस समय घुंघरू की आवाज़ जो रात रानी के इर्द गिर्द बैठा एक कीट निकाल कर सबको भयभीत करने लग जाता है। ऐसी मोह रात्रि में प्रेमी भी स्वयं प्रकृति के सम्मोहन तंत्र में फंस कर अपने आप को भूलकर एक हो जाते हैं और वो आकाश में रोशनी फैलाता चन्द्रमा भी अपनी चांदनी में खोकर संसार की सुध बुध भूल जाता है।

इसी रात्रि के क्षणों में एक साधक भी मूलाधार चक्र के माध्यम से आज्ञा चक्र में घुसता हुआ सहस्रा धार चक्र में प्रवेश कर मद मस्त हो जाता है और तमाम सिद्धियों का परम योगी बन जाता है और सिद्ध हो जाता है।

इन सब का प्रमाण देता हुआ मध्य रात्रि का सूरज भी उत्तर दिशा की ओर भ्रमण कर उस दिशा को सकारात्मक ऊर्जा स्त्रोतों से भर देता है और वहां स्वर्ग का सा माहौल बन वहां के पत्थरों को देवों की तरह पूजवा देता है, अपने अस्तित्व का प्रमाण देता हुआ दुनिया को अमृत रूपी बूंदो से भर ओस की तरह गिरा देता है।

ऐसी सम्मोहन वाली रात में प्रकृति के गर्भ रूपी कारागार से निकला दुनिया के कारागार जन्म लेने वाला बालक सम्मोहन शक्ति को फैलाकर जेल से बाहर खुले गगन के तले आता है तो यमुना जी भी उसके मोहपाश में बंध खो जाने हेतु उफान पर आ उसके तनिक संयोग से शांत हो जाती है और वो बालक सबको मोहित करता हुआ अपने ठिकाने पर पहुंच जाता है।

सम्मोहन की रात्रि का यह काल खत्म होते ही सुबह का तारा निकलता है और रात्रि के तूफान के अवशेषों को ढूंढ़ने का नाकाम प्रयास करता है लेकिन तब तक सम्मोहन शक्तियां दूध को दही में जमा देती है। बांके बिहारी कृष्ण के इस अवतरण से तमाम नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं और वृन्दावन के वन में रात्रि की रास लीलाओं में सभी गोपियों के साथ कृष्ण रास रचाते नज़र आते हैं।

बांसुरी की धुन पर जगत को मोहते हुए काले कलूटे मनमोहन ने श्री रूपी राधा को अपनी प्रिय बना अपने नाम के आगे राधा का “श्री ” शब्द लगा श्रीकृष्ण कहलाए जो कष्टों को काटते हैं तथा अपने भक्तों को दास्यभाव प्रदान करते हैं और प्राणी जन को प्रेम भक्ति का संदेश देते हैं तथा जरूरत पड़ने पर अपने सुदर्शन चक्र सें शत्रु के संहार में देरी नहीं करते हैं।

उनके जन्म की यादों की पावन बेला पर शत शत नमन करतें हुए आपको कृष्ण जन्म की बधाई देते हुए व सदा स्नेह बनाए रखने की आशा में।

-भंवरलाल, ज्योतिषी एवं संस्थापक जोगणिया धाम पुष्कर

   

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