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Video : स्वामी शांतानन्द व हिरदाराम साहेब का जीवन दर्शन महोत्सव एवं संत समागम शुरू

अजमेर/पुष्कर। जहां संत पहुंच जाएं वह भूमि पवित्र हो जाए, जो मायामोह से दूर है, जिसकी चित्त की वृत्ति प्रकाश होती है वह ही शांतानन्द है। ऐसे आशीर्वचन अनन्त विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी गुरुशरणानन्द महाराज ने स्वामी शांतानन्द व स्वामी हिरदाराम साहिब के जीवन दर्शन पर सत्संग भवन का शुभारंभ, धर्म ध्वजा व मूर्तियों के अनावरण पर आयोजित संत सम्मेलन में कहे।

उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में लिखा है कि स्थल स्थल पर महापुरूषों के जीवन की कल्पना की गई है कि हमें जीवन मिले तो संतों की नगरी में ही मिले। उन्होंने कहा कि जहां भागीरथ के रथ से जो खात बन जाए वहां होने वाले जल प्रवाह ही गंगा मैया है, वहां स्नान करने मात्र से ही पाप धुल जाते हैं और संत महात्माओं के स्नान से वह फिर पवित्र हो जाती है।

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उज्जैन के स्वामी उमेशानन्द ने कहा कि यहां आश्रम में आने से शांति के साथ प्रेरणा मिलेगी। हमारे संत कैसे सादगी से जीत थे यही जानने का सुअवसर मिलेगा। संत संतित्व को जीकर भक्तों के जीवन को भी धन्य कर देते हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि संतों की परम्परा से सामाजिक समरस्ता के साथ जीने का प्रयास करें क्योंकि हम सब ईश्वर की संताने हैं।

महामण्डलेश्वर कपिल मुनि महाराज हरेराम आश्रम हरिद्वार ने कहा कि तीर्थनगरी पुष्कर से मेरा बहुत ही पुराना रिश्ता रहा है और मैंने इस आश्रम में निरंतर आकर संतों से ज्ञान प्राप्त किया है।

महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि आश्रम का मतलब ही आकर श्रम करना है और सभी के आने से संत सभा का श्रृंगार हुआ है। अपने जीवन में सुख चाहो तो सेवा करो और स्मरण करो। भानपुरा पीठ के युवाचार्य ज्ञानानंद ने कहा कि जन्म जयंतियां मनाई जाती है परन्तु मृत्यु भी महोत्सव हुआ करती है, विलीन तत्व में महापुरूषों की कृपा को याद करना है। हमें संतों ने शिक्षा व संस्कार दिए हैं। अमरकण्टक आश्रम से पधारे स्वामी ने कहा कि महापुरूषों के वचनों से हम संस्कारित होकर पवित्र होते हैं और ऐसे अवसर व स्थान दुर्लभ है।

आश्रम के महंत राममुनि ने बताया कि श्री रामायण जी का अखण्ड पाठ का शुभारंभ सुबह किया गया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पुष्कर विधायक सुरेश रावत, नगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक, पार्षद पुष्कर नारायण भाटी, वासुदेव मंघाणी, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, गिरधर तेजवाणी, नरेन शाहणी भगत, भगवान कलवाणी, हरि चंदनाणी, प्रेम केवलरामाणी, भवानी थदाणी, नरेन्द्र बसराणी, गोर्वधन मोटवाणी, मनीष प्रकाश सहित कई संगठनों के सेवाधारी सहित अलग अलग शहरों से श्रृद्धालु उपस्थित थे।

महंत हनुमानराम ने बताया कि सत्संग हाॅल 40 फुट गुणा 80 फुट का बनाया गया है जिसमें महंत शांतानन्द व स्वामी हिरदाराम साहिब के जीवन के स्मरणीय प्रसंगों को 3डी व फोटो के जरिये प्रस्तुत किया गया है जो आने वाली पीढी के लिए प्रेरणा का केन्द्र बनेगी।

सन्त का एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत

महासचिव कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि अनन्तश्री विभूषित काष्णिक महामण्डलेश्वर स्वामी गुरशरणानन्द महाराज रमणरेती धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए चार्टर प्लेन से किशनगढ एयरपोर्ट पर पधारने पर महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, महन्त हनुमानराम, गौतम सांई सहित सेवाधारियों ने भव्य स्वागत किया जहां से द गेटवे रिसोर्ट पर आवास व्यवस्था थी।

सन्त महात्माओं ने दिए आशीर्वचन

महामण्डलेश्वर हरी प्रकाश हरिद्वार, महन्त मोहनदास मुम्बई, महन्त रामेश्वर मुनि विधाता (पंजाब), महन्त लक्ष्मण दास पंचमुखी दरबार भीलवाड़ा, महन्त स्वरूपानन्द पंजाब, डाॅ. स्वामी देवेश्वरानन्द हरिद्वार, महन्त रूपेन्द्र प्रकाश हरिद्वार, महन्त सन्तोषदास इन्दौर, महन्त आसनदास महाराज उल्लासनगर, महन्त अर्जुनदास उल्लासनगर, महन्त आत्मदास उज्जैन, महन्त श्याम सुन्दर दास ओंकारेश्वर, महन्त स्वरूपदास अजमेर, महन्त रामदास जबलपुर, महन्त खिमियादास महाराज सतना, महन्त ईश्वरदास सतना, महन्त स्वरूपदास खण्डवा, महन्त सन्तोषदास सतना, महन्त गणेशदास भीलवाड़ा, महन्त श्यामदास किशनगढ़, स्वामी साजनदास उल्लासनगर, महन्त दर्शनदास गांधीधाम, महन्त पुरूषोत्तम दास सतना, स्वामी लखमीचन्द गिरी भोपाल, महन्त माधवदास इन्दौर, स्वामी दीपक लाल भावनगर, महन्त बाबू गिरी भीलवाड़ा, स्वामी हंसदास रीवां, अजमेर से स्वामी ईसरदास, स्वामी आत्मदास, भाई फतनदास ने भी आर्शीवचन दिए। संतों के लिए दाधीच वाटिका, मास्टर पैराडाइज व आश्रम में आवास की व्यवस्था की गई है।

संत समागम आज

गुरूवार 20 दिसम्बर 2018 को सुबह 8 बजे श्री रामायण जी अखण्ड पाठ का भोग, 9 बजे से 10 बजे तक बाल भोग, 10.30 से 12 बजे तक संत समागम, दोपहर 1 बजे से भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।

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