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हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वाले जगद्गुरू परमहंस का संत समिति ने किया बहिष्कार

अयोध्या। कुछ समय में अपने विवादित बयानों से जबरदस्त चर्चा में आए स्वयंभू जगत गुरु स्वामी परमहंस आचार्य को अंततः उनके बड़बोलेपन के चलते अयोध्या की संत समिति ने बाहर कर दिया है। संत समाज का मानना है कि महामंडलेश्वर जगतगुरु महंत और श्री महंत की होती है, जिसकी अपनी अलग-अलग परंपरा होती है पद की प्राप्ति के लिए, और संत समिति लेती है निर्णय, किंतु जगत गुरु परमहंस आचार्य स्वयंभू हैं।
अयोध्या की संत समिति ने किया जगत गुरु परमहंस आचार्य का बहिष्कार किया है। कल ही परमहंस दास ने तपस्वी छावनी के समस्त पदों से इस्तीफा दिया था। सूत्रों के मुताबिक संत समिति के पक्ष में जगत गुरु परमहंस आचार्य के पीठ के महंत सर्वेश्वर दास ने पहले ही परमहंस दास का बहिष्कार कर दिया है। अब जगतगुरु परमहंस आचार्य की और मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

जगत गुरु परमहंस आचार्य गत दिनों आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं। अपनी स्वयं की चिता सजाकर कफन पूजन भी कर चुके हैं। गत दिनों अपनी मागों को लेकर सरयू में समाधि लेने की चेतावनी भी सरकार व प्रशासन को दी थी। इसके बाद अब उन्होंने 2023 नवंबर में भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किए जाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन का ऐलान किया है।

क्या बोले परमहंस : निष्कासन पर परमहंस ने बयान जारी कर कहा कि 2018 में 1 से 12 अक्टूबर तक अन्न-जल का त्याग करके राम मंदिर के लिए आमरण अनशन किया था। जब उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनशन तोड़वाया था।

इसके बाद 19 दिनों तक हमने तीर्थराज प्रयाग कुंभ किया था। जब शंकराचार्य श्री वासुदेवनंद सरस्वती ने तोड़वाया था। इसके बाद जनसंख्या नियंत्रण को लेकर के हमने आवाज़ उठाई थी। एक देश एक कानून को लेकर हमने आवाज उठाई। सभी तीर्थों के चौरासी कोस की संस्कृति तीर्थक्षेत्र में अंडा, मांस, मछली और मदिरा को बंद करने को लेकर महामहिम राष्ट्रपति से लेकर एक लंबा संघर्ष किया।

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