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कश्मीर फाइल्स और केरल स्टोरी के बाद अब अजमेर 92 पर विवाद

अजमेर। कश्मीर फाइल्स और केरल स्टोरी के बाद अब जल्द ही बड़े स्क्रीन पर अजमेर फाइल्स दिखाई देगी। आज से 30 साल पहले ख्वाजा नगरी अजमेर में घटी एक घटना ने देश को दंग कर दिया था, जब 100 से भी ज्यादा लड़कियों की न सिर्फ न्यूड फोटोज खींची गई थी, बल्कि उनके साथ हैवानियत भी की गई। उसके बाद कई लड़कियों ने अपनी जान तक दे दी, इनमें देश के कई नामचीन रसूखदारों की बेटियां भी शामिल थीं। अब इस पर फिल्म बनी है ‘अजमेर 92’ जो जल्द रिलीज होने वाली है।
इसी के साथ इस पर रोक लगाने की मांग भी उठने लगी है। रजा अकेडमी और आल इंडिया सुन्नी जमायतुल उलेमा नामक संगठनों ने इस रोक की मांग उठाई है। इन संगठनों का कहना है कि एक साजिश के तहत अब फिर से यह मुद्दा उठाया जा रहा है। फिल्म के प्रोमो में ख्वाजा साहब की दरगाह दिखाकर कुछ आपत्तिजनक वाक्य बोले जा रहे हैं जिनसे अकीदतमंद की भावना को ठेस पहुंचेगी। हालांकि अजमेर को कलंकित करने वाले इस कांड के बारे में इन संगठनों ने एक शब्द भी नहीं बोला है।

यह है अश्लील छायाचित्र कांड

 साल था 1992, जब स्थानीय अखबार में छपी एक खबर ने लोगों के होश उड़ा दिए थे, वो जमाना भले ही सोशल मीडिया का नहीं था। लेकिन खबर को आग की तरह फैलने में जरा सा भी वक्त नहीं लगा। अजमेर के बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में शुमार सोफिया स्कूल में देश के कई बड़े आईएएस-आईपीएस से लेकर नेताओं की बच्चियां पढ़ती थीं। 18-19 साल की 100 से भी ज्यादा लड़कियों की न्यूड तस्वीरें खींची गई, जो मैगजीन और अखबारों के पहले पन्ने तक भी पहुंच गईं।
दरअसल, सोफ़िया में पढ़ने वाली लड़कियों की अश्लील फोटो खींचकर ब्लैकमेल किया गया। फिर फार्म हाउस पर बुलाकर लड़कियों का दुष्कर्म किया जाता रहा और इसकी भनक घरवालों तक को नहीं लगी, धीरे-धीरे करके इसकी लड़कियों की संख्या सौ से ऊपर चली गई। यह सभी लड़कियां प्रभावशाली घरों से आती थी, लिहाजा मामला और गंभीर था।
इसके तार अजमेर दरगाह शरीफ के कुछ खादिमों से जुड़ा हुआ था। इस यौन शोषण का सारा खेल शहर के रईस और ताकतवर खानदानों में से एक चिश्ती परिवार के फारूक चिश्ती और नफीस चिश्ती ने अपने साथियों के साथ मिल कर अंजाम दिया। इतना ही नहीं, बल्कि फारूक और नफीस यूथ कांग्रेस से भी जुड़े हुए थे। इनके पास न सिर्फ सियासी ताकत थी, बल्कि धार्मिक पावर भी थी। इस स्कैंडल में कुल 18 आरोपी घेरे में आए, जिसमें फोटो लैब का मालिक और टेक्निशियन भी शामिल थे।
इस स्कैंडल में जिन लड़कियों की फोटोज खींची गईं, उनमें से कई लड़कियों ने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। एक ही साथ 6-7 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया। इस घटना में सबसे दर्दनाक बात यह रही कि इन लड़कियों के लिए न समाज और न ही घरवाले आगे आए, लेकिन मामले के खुलासे में यह एक कड़ी साबित हुई। आरोपियों के सियासी रसूख के चलते कोई भी आगे नहीं आया, हालांकि बाद में फोटोज और वीडियोज के आधार पर लड़कियों की पहचान की गई। इनसे बात करने की कोशिश की गई, लेकिन समाज में बदनामी के डर से कोई आगे आने को तैयार नहीं हुआ। समझाइश के बाद 12 लड़कियों ने मामला दर्ज करवाया, लेकिन धमकियां मिलने के बाद सिर्फ दो ही लड़कियां डटी रहीं। इनके बयानों के आधार पर 16 आरोपियों की पहचान की गई, जिसमें से ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया।
100 से ज्यादा इन लड़कियों को आज भी इंसाफ नहीं मिल पाया है। कोर्ट में आज भी मामला दर्ज है, जिन लड़कियों के साथ हैवानियत हुई उनकी आज उम्र 50 साल हो गई है, लेकिन उनको आज भी इंसाफ का इंतजार है। 2018 में इस मामले का मुख्य आरोपी पकड़ा गया।

अजमेर ब्लैकमेल कांड में फारुक, नफीस के साथ अनवर, मोइजुल्लाह उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, सलीम, शमशुद्दीन, सुहैल वगैरह भी शामिल थे। एक फार्महाउस और एक पोल्ट्री फार्म में ले जाकर उनका यौन शोषण करते थे और अश्लील तस्वीरों के सहारे ब्लैकमेल करते रहते थे, अजमेर ब्लैकमेल कांड जिला अदालत से हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट और पॉक्सो कोर्ट के बीच नाचता रहा। शुरुआत में 17 लड़कियों ने अपने बयान दर्ज करवाए, लेकिन बाद में ज्यादातर गवाही देने से मुकर गईं। 1998 में अजमेर की एक कोर्ट ने आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने 2001 में उनमें से चार को बरी कर दिया।

साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने बाकी चारों दोषियों की सजा घटाकर 10 साल कर दी, इनमें मोइजुल्ला उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, इशरत अली, अनवर चिश्ती और शम्शुद्दीन उर्फ माराडोना शामिल था। 2007 में अजमेर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फारूक चिश्ती को भी दोषी ठहराया, जिसने खुद को दिमागी तौर पर पागल घोषित करवा लिया था। 2013 में राजस्थान हाईकोर्ट ने फारुक चिश्ती की आजीवन कारावास की सजा घटाते हुए कहा कि वो जेल में पर्याप्त समय सजा काट चुका है, 2012 में सरेंडर करने वाला सलीम चिश्ती 2018 तक जेल में रहा और जमानत पर रिहा हो गया अन्य आरोपियों को भी जमानत मिल गई थी। वहीं, कई ऐसे भी थे, जिन्हें पकड़ा ही नहीं जा सका। नफीस और फारुक चिश्ती जो मुख्य आरोपी थे वो आज भी पूरी शान से अजमेर में रह रहे हैं।

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