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जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने RSS की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ, मौलाना मदनी बोले- BJP और संघ से कोई मज़हबी दुश्मनी नहीं

नई दिल्ली. जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-E-Hind) के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा है कि BJP और RSS से कोई मज़हबी दुश्मनी नहीं, सिर्फ़ गलतफहमियां बढ़ाने वाले मामलों को लेकर मतभेद है.

 

दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहे जमीयत उलेमा-ए-हिंद के तीन दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, ‘हम RSS के सामने दोस्ती का हाथ बढाते हैं. आइए आगे बढ़िए और गले मिलिए. हमें सनातन धर्म के बढ़ने से कोई परेशानी नहीं, लेकिन किसी को इस्लाम के बढ़ने से भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए.’

मौलाना महमूद मदनी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुल्क में बसने वाले दूसरे तबके के लोगो की बातों से हमे इख़्तिलाफ़ (मतभेद) जरूर रख सकते हैं, लेकिन हम उनके मुखालिफ (विरोधी) नहीं हैं. हमारे मुल्क में बेशुमार जुबान है, अलग-अलग रहन सहन, सोचने के अलग-अलग तरीकों के बावजूद मुल्क जुड़ा है.’

 

 

मदनी ने कहा कि ये ख्याल कि हम पाकिस्तान चले गए होते, निकाल देना चहिए. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों का कनेक्शन उनके साथ यानी मुगलों से था, वो 1947 में चले गए. ये हमारा देश है. ना हम आपके बुलाए आए हैं, ना कहने से जाएंगे.’

जमीयत के अधिवेशन में पेश किए गए 3 बड़े प्रस्ताव
जमीयत के अधिवेशन के दूसरे दिन पसमांदा मुस्लमानों, मदरसों और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर प्रस्ताव भी पेश किए गए. इस दौरान पसमांदा मुसलमानों को लेकर पास किए प्रस्ताव में जमीयत ने कहा कि ‘यह अच्छी बात है कि सरकार पसमांदा मुसलमानों के बारे में सोच रही है. हम उसका स्वागत करते हैं, लेकिन धारा 341 को अब खत्म करना चाहिए, ताकि पसमांदा मुसलमानों को रिजर्वेशन का लाभ मिल सके, जो मजहब की बुनियाद पर हटा दिया गया.’

इसके अलावा मदरसों की आजादी और उनकी सुरक्षा के मद्देनजर भी प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें जमीयत ने कहा कि ‘मदरसों को टारगेट करना बंद करना होगा. मदरसे मुसलमानों की तालीम को बढ़ा रहे और आज़ादी से लेकर अब तक मदरसों का अहम किरदार रहा है. मदरसों में लगातार मॉडर्न एजुकेशन को जरूरी किया जा रहा है.’ जमीयत के मंच से कहा गया कि मदरसे मुसलमानो के लिए जान से भी प्यारे है. धर्म को आधार बनाकर मदरसों को टारगेट नहीं किया जा सकता.

वहीं समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर पास प्रस्ताव में सरकार पर आरोप लगाया गया कि यूसीसी के जरिए सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सम्मेलन के 2 दिन पूरे हो गए हैं. अब कल इस सम्मेलन के तीसरे और आखिरी दिन हजारों लोगों के सामने इन 2 दिनों में पास हुए प्रस्ताव को पढ़ा जाएगा और देश के मुसलमानों को एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश होगी.

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