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जम्मू सैक्स स्कैंडल: बीएसएफ के डीजीपी, डीएसपी समेत पांच दोषी

चंडीगढ़। लगभग 12 साल पुराने जम्मू कश्मीर सेक्स स्कैंडल मामले में सीबीआई की स्थानीय अदालत ने सीमा सुरक्षा बल के पूर्व उप महानिरीक्षक और उपाधीक्षक समेत पांच लोगों को ब्लात्कार के आरोप में बुधवार को दोषी करार दिया तथा दो लोगों को बरी कर दिया।

अदालत अब दोषियों को चार जून को सजा सुनाएगी। जिन्हें दोषी ठहराया गया है उनमें बीएसएफ के पूर्व डीआईजी केएस पाधी, डीएसपी मोहम्मद अशरफ मीर और तीन युवक शब्बीर अहमद लेवाय, शब्बीर अहमद लांगू और मसूद अहमद हैं। अदालत ने कारोबारी मेहराजउद्दीन मलिक तथा राज्य के पूर्व महाधिवक्ता अनिल सेठी को बरी कर दिया।

इस मामले का श्रीनगर में वर्ष 2006 में 15 वर्षीय युवती का एक पोर्न एसएमएस सामने आने पर खुलासा हुआ था। बाद में यह एक बड़े सैक्स स्कैंडल के रूप में उभरा और इसमें कई बड़े लोगों और अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ।

जांच में यह भी सामने आया कि इस सैक्स स्कैंडल की सरगना सबीना नामक महिला थी जो हाईप्रोफाइल लोगों को लड़कियां सप्लाई करती थी तथा इस काम में उसका पति अब्दुल हामिद कथित तौर पर शामिल था।

इस सम्बंध में 56 हाईप्रोफाइल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

इनमें जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मंत्री गुलाम अहमद हसन मीर, स्वतंत्र विधायक रहे रमन मट्टू, पूर्व मुख्य सचिव इकबाल खांडे, बीएसएफ डीआईजी के.सी. पाधी, पूर्व महाधिवक्ता अनिल सेठी, तत्कालीन डीएसपी श्रीनगर मोहम्मद मीर यूसुफ, होटल मालिक रियाज अहमद कावा, सबीना और उसके पति अब्दुल हामिद तथा आत्मसमर्पण कर चुके सात पूर्व आतंकवादियों हिलाल अहमद शाह, अबसार अहमद डार, एेजाज अहमद भट्ट, शब्बीर अहमद लेवाय, शब्बीर अहमद लांगू और मसूद अहमद तथा अन्यों को आरोपी बनाया गया था।

इस मामले में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का भी था लेकिन उनके मुख्यमंत्री होने के चलते वर्ष 2009 में चार्जशीट से उनका नाम हटा दिया गया था।

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच और मामले की सुनवाई के दौरान सबीना और उसके पति की मौत हो गई।

ट्रायल के दौरान पीड़िता के बयान से मुकरने के बाद अदालत ने मोहम्मद मीर यूूसुफ को बरी कर दिया था। वहीं पिछले साल आरोपी होटल मालिक रियाज अहमद कावा को भी अदालत सबूतों के अभाव में बरी कर चुकी है। इस मामले में कुछ अन्य आरोपी भी सबूतों के अभाव और पीड़िता के बयानों से मुकरने पर बरी हो चुके हैं।

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