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नसीराबाद में जब राष्ट्रपति ने बटालियनों को ‘शौर्य गाथा’ ध्वज प्रदान किए

नसीराबाद। आज से लगभग 58 साल पहले नसीराबाद की सैनिक छावनी में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन ने ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट की नवगठित 4 नई बटालियनों को शौर्य गाथा ध्वज प्रदान किए।

नसीराबाद के इतिहासकार विष्णु प्रकाश जिंदल ने नसीराबाद के गौरवमयी इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 28 दिसंबर 1964 को तत्कालीन राष्ट्रपति ने यह ध्वज बटालियन के जवानों को प्रदान किए।

ध्वज प्रदान करने के अवसर पर राष्ट्रपति ने नई बटालियनों को संबोधित करते हुए रेजीमेंट की शौर्यमयी परंपरा की चर्चा की और बताया कि जिस प्रकार इस रेजीमेंट के जवानों और सरदारों ने नाथूला में अपने खून को बहाकर तथा जान देकर न केवल अपने शौर्यमयी परंपरा को कायम रखा बल्कि दुश्मनों को भी मुंह तोड़ जवाब दिया।

जिंदल के अनुसार इस रेजिमेंट की स्थापना लगभग 244 वर्ष पूर्व सन 1778 में की गई थी इसके जवानों में तीन विक्टोरिया क्रॉस, परमवीर चक्र तथा 160 अन्य पदक वर्ष 1970 तक प्राप्त हो चुके थे।

उल्लेखनीय है कि 20 अक्टूबर 1962 को हिंदी चीनी भाई भाई नारे के बीच चीन ने भारत की पीठ पर छुरा भोंककर हमला कर दिया तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के संसद में सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किए जाने के बावजूद भारत अपनी खोई हुई जमीन आज तक वापस नहीं ले पाया।

चीनी आक्रमण के बाद सैनिकों की हौसला अफजाई के लिए देश की इस बड़ी छावनी में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन सैनिकों के बीच पधारे और उन्हें शौर्य गाथा ध्वज प्रदान कर उनकी हौसला अफजाई की।

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