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पाकिस्तान की जेल में तिरंगा बैंड बनाया तो जमकर हुई पिटाई

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कानपुर। पाक जेल में हिन्दुस्तानी कैदियों के साथ क्या बर्ताव होता है, भारतीय होने पर उनकी कितनी पिटाई की जाती है। देर रात अपने वतन लौटे तीन मछुआरों ने पाक सेना की हैवानियत बताई तो परिवार क्या उनका दर्द सुनकर ग्रामीणों की आंखों में भी आंसू आ गये।

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इन भारतीय युवकों ने पकिस्तान के जुल्मों के आगे हिम्मत नहीं हारी और जेल में ही तिरंगा बैंड बनाया। यह नया साल उनके परिवार के लिये खुशी लेकर आया जब पाकिस्तान की मलीर लांघी जेल में सवा साल से बंद कानपुर के भीतरगांव निवासी तीन मछुआरों के गांव में लौटते ही परिजनों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी। अपने बच्चों को सही सलामत देख परिवार खुशी से झूम उठे तो गांव में मिठाईयां बाटी गई। अपनी दास्तां बताते-बताते कब रात और कब सुबह हो गई पता ही नही चला लेकिन जब पाक सेना की हैवानियत की आपबीती बताई तो सभी की आंख में आंसू और पाक सेना के लिए आक्रोश दिखा।

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घाटमपुर के मोहम्मदपुर गांव निवासी रविशंकर गौड़, जयचन्द्र गौड़ और संजय कुरील ने बताया कि बीते वर्ष 15 अक्टूबर 2015 को गुजरात के ओखा समुद्री तट पर मछली का शिकार करते समय अन्य 27 भारतीय मछुआरे पाक जल सेना के हत्थे चढ़ गए थे। मलीर लांघी जेल में कुल 439 मछुआरे बंद थे| इनमें कोई न कोई अपनों और वतन की याद में रोता ही बिलखता था।

जेल के कुछ गार्डोंं और अधिकारियों के बारे में बताया कि वह लोग भारतीयों से नफरत करते हैं। खाने में शिकायत करने पर अन्य कैदियों के सामने उनको जमकर पीटते थे। जबकि, किसी कैदी के घर से पत्र का उत्तर आने पर लिफाफे में निकलने वाले रुपये और फोटो आदि जब्त करके अपने पास रख लेते थे।

तिरंगा बैंड बनाया तो लात-घूंसों से पीटा

अपने वतन लौटे मछुआरों ने बताया कि भारतीय होने पर पाक सेना उन्हें बहुत मारती-पीटती थी। युवकों ने बताया कि जेल में वह लोग नकली मूंगे-मोतियों से सजावट के सामान के साथ ही डिजाइनदार पेन, अंगूठी, गले में पहनने वाले हार (माला), हेयर पिन और बैंड के अलावा छोटे बच्चों के लिए जूतियां बनाकर चार पैसे भी कमाते थे। इन्होने बताया कि वहां तिरंगा कलर का सामान बनाने में मनाही थी। जब उन्होंने तिरंगा बैंड बनाया तो पाक सेना ने उन्हे देखा और बहुत पीटा।

उन्होंने बताया कि हुनर की बदौलत वह एक दिन में डेढ़ हजार रुपये तक कमा लेते थे। जेल से रिहा होने के समय उनको तीन-तीन हजार रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा) मिली थी जिसको बाघा बार्डर पर पहुंचते ही भारतीय मुद्रा में चेंज करवा लिया।

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