इंदौर। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक सुखद खबर आई है। घरवालों से बिछड़ा एक मंदबुद्धि युवक दो साल बाद इसी आधार कार्ड की वजह से अपने माता-पिता तक वापस पहुंच सका है।
उसकी तलाश में दो साल तक नगर-नगर भटकने के बाद जब अचानक घर बैठे उन्हें बेटे के सकुशल होने की इत्तला मिली तो दिल खुशी से झूम उठा।
जानिए, क्या है माजरा और आधार का योगदान
इंदौर निवासी मानसिक रूप से बीमार 18 वर्षीय युवक मोनू दो साल पहले किसी ट्रेन में बैठकर बेंगलुरु पहुंच गया। वहां इधर-उधर भटकने लगा। इसी बीच किसी ने उसे मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद के लिए चल रही संस्था में पहुंचा दिया।
पिछले दिनों संस्था के अधिकारी जब मोनू को अन्य मानसिक रोगियों के साथ आधार कार्ड बनवाने एक कैम्प में लेकर गए। वहां ऑपरेटर ने जैसे ही मोनू की आइरिस स्कैन और अंगूठे की छाप ली तो पता चला कि उसका आधार कार्ड पहले ही बन चुका है।
यह जानकार संस्था के अधिकारी चौंके। उन्होंने उसके आधार कार्ड की जानकारी हासिल की तो उसका नाम और इंदौर का पता हासिल हो गया।
इंदौर पुलिस से उसकी गुमशुदगी का पता चला। इस पर संस्था अधिकारियों ने इंदौर के प्रशासन से सम्पर्क कर मोनू को उसके परिजन से मिलाने की इच्छा जताई।
इसके बाद मोनू को लेकर इंदौर पहुंचे और उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया। पूरे दो साल बाद खोए बेटे को देखते ही माता-पिता भावुक होकर रो पड़े। उन्होंने संस्था अधिकारियों का भीगी आंखों से शुक्रिया अदा किया।