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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रतिक्रियावादी संगठन नहीं – तारे

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रतलाम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डा. केशव बलीराम हेडगेवारजी ने 1925 में यह सोच कर की थी कि मैं एक ऐसा संगठन बनाऊंगा जो लोगों को राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देकर आत्म सम्मान से जीना सिखाएगा, ताकि भारत को कोई कभी भी पुन: गुलामी की जंजीरों में न जकड़ सके।

यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 7 दिवसीय प्राथमिक वर्ग के समापन पर प्रचारक भालचंद्र तारे ने अपने बौद्धिक में कही। उन्होंने कहा कि संघ देश सेवा और समाज सेवा करने वाला संसार का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है। कभी भी किसी प्राकृतिक आपदा या आकस्मिक दुर्घटना के समय सबसे पहले पहुंचकर राहत कार्य आरंभ करने वाले संघ के स्वयंसेवक ही होते है। इसके सैकड़ों उदाहरण हमारे सामने है। संघ प्रतिक्रियावादी संगठन नहीं है, यह तो भारत माता की संतानों को आत्मसम्मान से जीना सिखाता है। इस दौरान मंच पर कार्यक्रम के अध्यक्ष लेखराज पाटीदार एवं प्राथमिक शिविर के वर्ग कार्यवाह राजेन्द्रसिंह अमलेटा भी आसिन थे।

इस प्राथमिक वर्ग में जिले के 29 स्थानों से चयनित 91 स्वयंसेवकों ने समिति साधनों में रहकर इस भीषण गर्मी में दण्ड संचालन, नियुद्ध योगासन, सूर्य नमस्कार, व्यायाम योग, समता आदि का प्रशिक्षण प्राप्त कर अभ्यास किया और उसका प्रकट कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन भी किया।

शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले स्वयंसेवकों की भोजन व्यवस्था हेतु आसपास की 11 ग्रामों से समग्र हिन्दु समाज के 1700 परिवारों से संपर्क कर 13700 रोटियों का संग्रह किया गया। उक्त जानकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचार प्रमुख सुरेन्द्रसिंह भामरा द्वारा दी गई।

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