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संसद में उठा ‘खून चूसने वाले’ प्राइवेट स्कूलों का मामला

नई दिल्ली। राज्यसभा में कल शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने निजी स्कूल द्वारा मनमानी फीस वसूलने का मुद्दा उठाया। भाजपा के श्वेत मलिक ने संसद में कहा कि “बच्चों के अभिभावक अपने लिए घर नहीं बनवा पाते और एक ही स्कूल की एक से अधिक इमारतें खड़ी हो जाती हैं।” ये बातें करते हुए उन्होंने सरकार से फीस नियंत्रित करने की मांग की।

 

उन्होंने कहा कि “खून चूसने वाले”  निजी स्कूल “माता-पिता का निर्माण शुल्क के नाम पर सबसे पहले शोषण करते हैं और फिर उन्हें स्कूल से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करते हैं।” उन्होंने निजी स्कूलों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क के नियमन की मांग की।

सुरेंद्र सिंह नागर (एसपी) ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्कूलों ने फीस में 150 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। 2018 में, उत्तर प्रदेश ने निजी स्कूलों को नियंत्रित करने के लिए एक कानून बनाया, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकोंऔर छात्रों के शोषण को समाप्त करने के लिए केंद्र को एक कानून बनाना चाहिए।

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