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आज दिन से ही शुरू हो जाएगी महालक्ष्मी पूजा

mahalakshmi
लंबे अरसे बाद दुर्लभ संयोग बना इस त्योहार पर
जयपुर। इस बार लक्ष्मीजी से जो चाहें मांग लीजिए। आपकी हर इच्छा और अभिलाषा पूरे होने के प्रबल आसार हैं। क्योंकि इस बार दीपावली विशेष संयोग में आई है। ग्रह नक्षत्रों के बन रहे अति विशेष संयोग का असर लोगों पर पड़ेगा।

राजनीति में भी उठापठक का दौर बढ़ सकता है। वहीं इस बार दिन में ही दीपावली पूजन का मुहूर्त बनने से व्यापारियों के लिए महाशुभ दीपावली बनकर आई है। 12 नवम्बर सुबह 5.34 तक सौभाग्य योग बना है।

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार मंगलवार रात से अमावस्या चढऩे और बुधवार का दिन होने से लक्ष्मी के साथ गणेश की भी होगी विशेष कृपा होगी। अमावस्या मंगलवार की रात 8.45 बजे से शुरू हो जाएगी, यह दुर्लभ संयोग है। इस बार 11 तारीख को ही दीपावली, सुख रात्रि, लक्ष्मी पूजा, पितृ विसर्जन और दीक्षा ग्रहण भी होगा।

प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा रही है। विद्वानों की मानें तो प्रदोष काल में दीपावली पूजन क्षेष्ठ रहेगा। पूजा के दौरान श्रीसूक्त का पाठ, पुरूख सूक्त का पाठ और दुर्गा सप्ताशती के चतुर्थ एवं एकादश अध्याय, कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी सहस्त्रनामावली, विष्णु सहस्त्रनाम सहित कमल गठ्ठे की माला से मंत्रों का जाप अति शुभ है।

इस बार प्रदोष काल लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाए तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है। अनेक समुदाय विशेष रूप से गुजराती व्यापारी लोग दीवाली पूजा के दौरान चोपड़ा पूजन करते हैं। चोपड़ा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मीजी की उपस्थिति में नई खाता पुस्तकों का शुभारंभ किया जाता है।

तीन बार पूजा संयोग

चौबीस घण्टे में पूजन के तीन संयोग बने हैं। इस बार दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त दिन में 12.55 बजे से दोपहर 2.25 बजे तक कुंभ लग्न में बन रहा है।

दूसरा संयोग प्रदोष काल 5.32 बजे से 7.35 बजे तक वृष लग्न में बन रहा है जिसके स्वामी ही शुक्र हैं। घड़ी काल में घर की कुंवारी कन्याओं से दीपदान कराया जाना शास्त्र के अनुसार शुभ माना गया है। इस योग में किया गया लक्ष्मी पूजन अभीष्ठ फलदायक होता है।

तीसरा चरण रात्रि निशाकाल में महानिशा पूजन के साथ किया जाएगा। यह संयोग 11.58 बजे से रात्रि के 2.18 के बीच सिंह लग्न में पड़ेगा। मुहूर्त में श्रद्धालु मां लक्ष्मी की उपासना कर सकते हैं। इस काल में तंत्र साधना की जाती है।

गृहस्थ दूसरे चरण में उपासना करें। इस बार दीपावली में द्वितीय चरण की पूजा सभी राशियों के लिए सर्व मंगलकारी होगी। शुक्र की पूर्ण दृष्टि के कारण सभी राशि के जातकों को दूसरे चरण में बन रहे संयोग प्रदोष काल 5.32 बजे से 7.35 बजे तक वृष लग्न में लक्ष्मी पूजन कर लेना चाहिए।

यह है पूजा मुहूर्त

-प्रात: 06.00 से 07.30 तक
-दोपहर 12.00 से 01.30 तक
-दोपहर 01.30 से 03.30 तक
-शाम 04.30 से 06.00 तक
-शाम 06.00 से रात्रि 07.30 तक।
– देर रात्रि में सिद्धि करने वालों के लिए
रात्रि 12.00 से रात्रि 01.30 तक।

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