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चौंकिए मत, तितलियों का अपना कोई रंग नहीं होता

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वाराणसी। जिन रंग बिरंगी तितलियों को देखकर बच्चे ओर युवा उसे पकडऩे के लिए बेचैन हो जाते हैं उनका कोई अपना रंग नहीं होता। यह जानकारी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी व्याख्यानमाला में फार्मास्युटिकल विज्ञान एवं फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों ने दी।

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय विज्ञान संस्थान के भौतिकी विभाग के एसएन बोस सभागार में एमिटी विश्वविद्यालय दिल्ली और बीएचयू भौतिकी विभाग तथा विज्ञान परिषद प्रयाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रो. डीके राय स्मृति व्याख्यानमाला में एमिटी के शोध निदेशक प्रो.आनन्दी लाल वर्मा ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी की उत्पत्ति और उसमें हुए विकास पर प्रकाश डाला।

 

उन्होंने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी में प्रयोग की जा रही तकनीक की जानकारी भी दी । बताया कि तकनीक गत वर्षों में किस तरह से उन्नत हुई है इस पर भी प्रकाश डाला। प्रो. वर्मा ने पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के जरिए रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के विभिन्न उपयोगों जैसे फार्मास्युटिकल विज्ञान एवं फोरेंसिक विज्ञान का भी विस्तार से वर्णन किया। प्रो. वर्मा ने बताया कि तितली का कोई रंग नहीं होता है, उस पर छोटे अणु (मालीक्यूल) के क्रिस्टल होते हैं उससे जब स्केटरिंग होती है तो तरह-तरह का रंग उभरता है।

 

बायोलॉजिकल अणुओं अध्ययन में रमन स्केटरिंग का विशेष उपयोग है। उन्होंने बताया कि चिप रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के प्रयोग से सिग्नल की क्षमता कई गुना बढ़ाई जा सकती है। इसके पूर्व भौतिकी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एसबीराय ने स्वर्गीय प्रो. देवेन्द्र कुमार राय का जीवन परिचय दिया। प्रो. शिव गोपाल मिश्र प्रधानमंत्री, विज्ञान परिषद प्रयाग ने स्वागत भाषण दिया।

ख्यातिप्राप्त भौतिकीविद् तथा बीएचयू कार्यकारिणी परिषद् के पूर्व सदस्य व भौतिकी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष स्वर्गीय प्रो. डीके राय की स्मृति में प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को महत्वपूर्ण विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान आयोजित किया जाता है।

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