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भाई संतोष जी नमस्कार, ग्वालियर में होने पर आपसे चर्चा हुई थी। आप समाज की तीसरी आंख हैं। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि मीडिया में हमारी एक मार्मिक अपील जरूर पब्लिश करें। नामदेव समाज के सभी बंधुओं से आग्रह कि वे अपनी पहचान या अपनी समाज विषयक जानकारी देते समय जो भी सरनेम लिख रहे हैं, उसमें अपनी पहचान गोत्र या खाप या जो आपको सुविधा अनुसार उचित लग रहा, लिख रहे हैं। किन्तु इससे हमारी राष्ट्रीय पहचान बनने में कठिनाई हो रही है।
अतः अलग-अलग सरनेम लिखने के बाद सभी समाज बंधु आपने आराध्य संत नामदेव जी का उल्लेख कोस्टक में कर महाराज जी का आशीर्वाद लें।
इससे हमारी एक पहचान बनेगी और हम आसानी से एक-दूसरे से परिचित हो सकेंगे।
वर्तमान में कोई अपने नाम के आगे नामदेव लगा रहा है तो कोई राठौड़, कोई वर्मा तो कोई अपनी गोत्र लिख रहा है। अनगिनत गोत्र होने के कारण आसानी से पता नहीं चलता कि अमुक व्यक्ति अपने समाज से है या अन्य समाज से। अगर सभी गोत्र आदि सरनेम के साथ ही कोष्ठक में नामदेव लिखें तो निश्चित ही हमारी राष्ट्रीय पहचान बनेगी।
-पी.के.नामदेव, जबलपुर, एमपी