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नामदेव बंधु की मौत, नाबालिग बेटे को कंधे पर ले जाना पड़ा शव

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यूपी सरकार की अकर्मण्यता की पोल खुली
देशभर के नामदेव समाज में आक्रोश
नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। उड़ीसा के कालाहांडी का काला इतिहास इस बार उत्तर प्रदेश में दोहराया गया। यहां महोबा जिला मुख्यालय पर एक लोमहर्षक घटना ने पूरे देश के नामदेव समाजबंधुओं को झकझोर दिया है।

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वहां शंकर नामदेव नामक दर्जी का काम करने वाले समाजबंधु की बीमारी की मृत्यु हो गई। वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला था। मर्मस्पर्शी पहलू यह रहा कि अस्पताल प्रशासन ने शव घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराई।

 

नाबालिग बेटे के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह पिता का शव किसी वाहन में डालकर घर ले जाता। अंतत: उसने शव चादर में लपेटा और कंधे पर लेकर निकल पड़ा। जिसने भी यह दृश्य देखा, वह भावुक हो गया। इस घटना ने अखिलेश सरकार के मुंंह पर कालिख पोत दी है।

 

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कबरई के सुभाषनगर में रहने वाले 50 वर्षीय शंकर नामदेव को बुखार के कारण सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब एक माह तक चले इलाज के दौरान घर की पूरी जमा पूंजी खत्म हो गई।

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यहां तक कि पत्नी मीना व विवाहित पुत्री रूबी के जेवर तक बिक गए। कबरई से शंकर नामदेव को जिला अस्पताल रेफर किया गया लेकिन वहां उनकी जान नहीं बच सकी। उनकी मौत ने परिवार पर मानों वज्रपात कर दिया।
रोते बिलखते परिजन ने जब शव घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन से एम्बुलेंस मुहैया कराने की गुहार लगाई तो प्रभारी दिवाकर साहु से जवाब मिला कि 102 और 108 एम्बुलेंस सेवा शव ले जाने के लिए नहीं मिल सकती।

 

शंकर नामदेव के 17 वर्षीय पुत्र रवि ने लाख गुहार लगाई लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार रवि अपने पिता का शव कंधे पर लेकर निकल पड़ा। बाद में संतोष तिवारी नामक व्यक्ति ने अपने खर्च से निजी एम्बुलेंस का इंतजाम कर शव उनके घर पहुंचाने का बंदोबस्त किया।
चंदे से हुआ अंतिम संस्कार
नामदेव परिवार की माली हालत देखते हुए कुछ समाजसेवियों ने चंदा कर शंकर नामदेव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराई। जनसेवक शिवपाल तिवारी, कबरई एसओ अमित भडाणा, विकलांग कल्याण समिति के मुकेश भारती, प्यारेलाल, विनोद आदि ने चंदा कर अंतिम संस्कार कराया। मामले का शर्मनाक पहलू यह भी है कि जनसेवा के बड़े-बड़े दावे करने वाले किसी राजनीतिक दल के पदाधिकारी ने मदद की कोशिश नहीं की।
देशभर में निंदा, आक्रोश
इस घटनाक्रम का पता लगते ही देशभर के नामदेव समाजबंधुओं में आक्रोश व्याप्त हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश सरकार की संवेदनशीलता की पोल खुल गई। समाजबंधुओं ने सरकार से इस मामले की जांच कराकर दोषी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अखिल भारतीय नामदेव महासंघ, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष राजेन्द्र नामदेव ने इस घटना को उत्तर प्रदेश सरकार के लिए शर्मनाक बताते हुए मामले की जांच कराकर दोषियों को दंडित करने व पीडि़त परिवार को तत्काल मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद देने की मांग की है।
पीडि़त परिवार को आर्थिक सहायता की गुहार
समाजबंधुओं ने शंकर नामदेव के इलाज में कोताही बरतने का आरोप भी लगाया। साथ ही पीडि़त परिवार को सरकारी आर्थिक सहायता मुहैया कराने की मांग की है। समाजबंधुओं ने खुद भी आर्थिक सहायता मुहैया कराकर इस परिवार को संबल देने का बीड़ा उठाया है।
सवाल यह भी
एक समाजबंधु आर्थिक तंगी और बीमारी में चल बसा, उसके परिजन के पास एम्बुलेंस तक के पैसे नहीं थे…चंदे से अंतिम संस्कार करना पड़ा और स्थानीय समाज को पता तक नहीं चला, यह मुुमकिन नहीं। खुद को समाज के अगुवा कहने वालों को क्यों इसका पूर्व में पता नहीं था कि कोई परिवार इस कदर गरीबी में दिन काट रहा है। उन्होंने समय रहते मदद की कोशिश क्यों नहीं की। सवाल यह भी है कि हम वक्त गुजरने के बाद तो हाय-तौबा मचा देते हैं लेकिन समय रहते अपने आसपास के समाजबंधुओं की सुध नहीं रखते। यह सच है।

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