ब्रिटेन और स्वीडन ने नकारा
लंदन। सयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से गठित की गई एक संस्था द्वारा विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को रिहा किए जाने के फैसले का युरोप के कई देशों ने विरोध किया है, जिसमें से ब्रिटेन और स्वीडन खुलकर सामने आ गए हैं। इन्होंने फैसले को मानने से सीधेतौर पर इनकार कर दिया है। दोनों देशों ने यूएन के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय ठीक नहीं हुआ, असांजे में कोई बदलाव आनेवाला नहीं है ।
इस संबंध में सयुक्त राष्ट्रसंघ की एक विशेषज्ञ समिति के मौजूदा अध्यक्ष सियोंग-फिल होंग ने कहा, जूलियन असांजे को जिन विभिन्न तरीकों से आजादी से वंचित रखा गया है, वह हिरासत में लिए जाने के बराबर ही है। इसलिए असांजे की इस तरह हिरासत खत्म कर देनी चाहिए, क्यों कि उनकी शारीरिक गरिमा और आवाजाही की स्वतंत्रता का अपना सम्मान है और वह सम्मान सभी को करना चाहिए।
गौरतलब है कि यूएन की एक संस्था ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि जूलियन असांजे को रिहा किया जाना चाहिए। संस्था ने ब्रिटेन और स्वीडन से यह भी कहा कि वे पिछले पांच साल से असांजे को मनमाने तरीके से हिरासत में रखे जाने पर उन्हें मुआवजा दें। अभी असांजे लंदन के अंतर्गत आनेवाले इक्वाडोर के दूतावास में एक छोटे से कमरे में रहते हैं, जहां उनपर तमाम बंदिशें लगी हुई हैं।
ऑस्ट्रेलियाई मूल के 44 वर्षीय असांजे पर 2010 में बलात्कार मामले में आरोपी बनाया गया था। स्वीडन उनसे इस मामले को लेकर अभी पूछताछ करना चाहता है। वहीं असांजे का सच यह भी है कि वह प्रत्यर्पण से लगातार बचने की कोशिश करते रहे हैं, इसीलिए 2012 से लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास में रह रहे हैं। असांजे को लगता है कि स्वीडन को प्रत्यापित होने का मतलब है कि अमेरिका को सौंप दिया जाना। जहां उन पर विकीलीक्स के बहाने गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों को लीक करने का मामला चलाए जाने की प्रवल संभावना है। एक बार अमेरिका में आरोप साबित हो गए तो उन्हें आजीवन जेल या 35 साल तक की जेल होने की संभावना है।