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जाट आरक्षण: इंतजार हुआ लम्बा, हाईकोर्ट ने 17 को दी अगली तारीख

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चंडीगढ। जाटों समेत 6 जातियों (जाट, जट्ट सिख, रोड़, त्यागी, बिश्नोई , मुल्ला जाट) के आरक्षण पर 26 मई को लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी। इस मामले पर सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई स्थगित हो गई। अब 17 जून को अगली सुनवाई होगी। इससे पहले 6 जून को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने रोक हटाने से इनकार कर दिया था। जस्टिस दया चौधरी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 13 जून तय की थी। हरियाणा सरकार की तरफ से स्पेशल सेक्रेटरी शेखर विद्यार्थी ने अर्जी दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट ने सरकार का पक्ष सुने बिना ही आरक्षण पर रोक लगा दी। इससे राज्य में विभिन्न पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया रुक गई है। विभिन्न कोर्स के लिए छात्रों प्रभावित हो रहा है। ऐसे में कोर्ट को आरक्षण दिए जाने संबंधी सरकार के फैसले पर लगी रोक को हटा देना चाहिए। जाट महासभा की तरफ से कहा गया कि आरक्षण पर रोक लगाते समय उनका पक्ष नहीं सुना गया। ऐसे में प्रभावित लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए। वहीं प्रदेशभर में जाटों का धरना जारी है। 5 जून से जारी धरने में सबसे ज्यादा भीड़ रोहतक के जसिया में जुड़ रही है। पिटीशन में कहा गया है, ‘हरियाणा में जाटों को आरक्षण देने का आधार बनाई गई पिछड़ा वर्ग आयोग की केसी गुप्ता रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है फिर इस रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण क्यों लागू किया गया है। पिटीशन में आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार की तरफ से जाटों के दबाव में उनको आरक्षण दिया गया है। पिटीशन के अनुसार सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद्द कर चुका है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं हैं। सेना, शिक्षा संस्थानों व सरकारी सेवा में जाट ऊंची पोस्ट पर हैं। 50% ज्यादा आरक्षण नहीं दिए जा सकने के नियम का भी दिया हवाला पिटीशन में कहा गया कि इंद्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद यह सीमा 70% पार कर दी। पिटीशन में ये भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में एक फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। ऐसे में जाटों को दिया आरक्षण खारिज किया जाए।

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