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जूडिशियल कॉउन्सिल ने ग्रीन इंडिया दिवस में किया वृहद वृक्षारोपण

 


नई दिल्ली। ग्रीन इंडिया दिवस 18 सितंबर को हर वर्ष मनाया जाता है , ग्रीन इंडिया दिवस को देशभर में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, इसमें जुडिशल काउंसिल संस्था के विभिन्न पदाधिकारियों ने आम जनता के साथ मिलकर अपने-अपने शहरों में बड़ी संख्या में वृक्ष लगाएं साथ ही यह प्रतिज्ञा भी की कि इन वृक्षों को फलने- फूलने तक उनकी सुरक्षा की जाएगी । देश के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण किया गया राजधानी दिल्ली में दिवंगतों की याद में अशोक नीम तथा अनार के पेड़ लगाये गए ,दिल्ली के अलावा कानपुर , लखनऊ, फतेहपुर, हैदराबाद, अमृतसर , भोपाल , ग्वालियर, वेल्लोर इत्यादि में बड़ी संख्या में पेड़ लगाए गए ।

 

मानवाधिकारों के संरक्षण तथा उनके हित में लगातार कार्यरत जूडिशियल कॉउन्सिल के डायरेक्टर जनरल श्री राजीव अग्निहोत्री नें कहा जंगलों तथा वृक्षों को कटने से बचाना होगा जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी ज्यादा से ज्यादा पेड़ों की जीओ टैगिंग करनी होगी । मौजूदा परिस्तिथयों का पूर्व अनुमान लगाना समझदारी होगी । श्री अग्निहोत्री ने कहा जिस तेजी से वन कम हो रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब हम इनको सिर्फ किताबों में पढ़ेंगे।

 

अग्निहोत्री के मुताबिक, घटते पेड़ों के आंकड़े डराने वाले हैं ।
न्यूज़ वार्ता संवादाता से बातचीत के दौरान श्री अग्निहोत्री नें बताया ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की जटिल समस्या है, यह बात साधारण आदमी समझ नहीं पाता है। उसे ये शब्द टेक्निकल लगता है। इसलिये वह इसकी तह तक नहीं जाता । लिहाजा इसे एक वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया जाता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि फिलहाल संसार को इससे कोई खतरा नहीं है।

 

आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’ पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं। यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है आर्कटिक तीन गुना गर्म हो रहा है। इन पर नियंत्रण पाया जा सकता है यदि हम सब इसको कम करने का प्रण लें ।
लगातार पेड़ो की कम होती संख्या भी गहन चिंता का विषय है जिस तरह का मंजर है सरकार को अपनी नीतियों पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए और पेड़ काटने की सज़ा कठोर से कठोर करें।

श्री संजय मेंबर पब्लिक ग्रीवांस कमिटी ने कहा ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे को दर्शाने वाले साक्ष्य पहले से तकरीबन दोगुने हो चुके हैं। आधुनिकरण के नाम पर पेड़ों का काटा जाना बहुत ही अफ़सोसजनक शर्मनाक और शर्मसार करने वाला है । इसका जो असर पर्यावरण पर हो रहा है, उससे सबको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है और यदि इसे रोका नहीं गया तो जलवायु परिवर्तन से उपजे खाद्य संकट से उबरना कठिन हो जाएगा।
श्री संजय ने बताया आगामी 10 अक्टूबर को ग्रीन वर्ल्ड डे अभियान हेतु आप सभी के सुझाव आमंत्रित हैं।

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