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दलित लेखिका का दावा : महाराणा प्रताप राजपूत नहीं भील थे

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जयपुर। राजस्थान की शान और राजपूतों की आन महाराणा प्रताप को लेकर एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। उदयपुर की 69 वर्षीय दलित लेखिका कुसुम मेघवाल ने अपनी पुस्तक में दावा किया है कि महाराणा प्रताप राजपूत नहीं भील समुदाय के थे और बाद में उन्हें मेवाड़ का राणा बनाया गया।

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लेखिका के इस दावे से राजपूत समाज के जबरदस्त रोष है। इस संबंध में लेखिका को धमकियां भी मिल रही हैं। उसने उदयपुर के अम्बामाता थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
कुसुम मेघवाल ने अपनी पुस्तक ‘महाराणा प्रताप भील राजपुत्र दी क्षत्रिय या राजपूत नहीं’ में कहा कि भील शब्द संस्कृत के शब्द भीला से आया है जिसका मतलब बहादुर और सामरिक होता है। पूरे मेवाड़ में भील समाज परंपरागत तरीके से फैला हुआ है और उनकी पहचान सामरिक ताकत है। महाराणा प्रताप भी भील थे जिन्हें बाद में एक समारोह में सूर्यवंशी बनाने के लिये मेवाड़ का राणा बनाया गया।

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धमकी की जांच शुरू

लेखिका ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि पिछले कई दिनों से उन्हें अज्ञात नम्बरों पर फोन पर पुस्तक लिखने पर जान से मारने की धमकियां मिल रही हंै। पुलिस ने उन नम्बरों के आधार पर जांच शुरू कर दी है।

लेखिका ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें अज्ञात नम्बरों से फोन आ रहे हैं और पुस्तक लिखने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कुछ फोन करने वाले करणी सेना का होने का दावा करते हैं तो कुछ अपने आप को ठाकुर बता रहे हैं। वह पिछले सात दिनों से अपने घर से नहीं निकली हैं।

 

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