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पहली बार बकरा ईद पर नहीं हुई कुर्बानी, सौहार्द की शानदार मिसाल

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नामदेव न्यूज डॉट कॉम
भीलवाड़ा। बकरा ईद यानी कुर्बानी का दिन। इस दिन कुर्बानी नहीं दी गई हो, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। मगर इस बार जिले में कोटड़ी कस्बे के मुस्लिमबंधुओं ने कल सौहाई की शानदार मिसाल पेश की।

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इस दिन हिन्दुओं का बड़ा त्योहार जलझूलनी एकादशी और मुस्लिमों का बड़ा त्योहार ईदुलजुहा एक ही दिन थे। पहल की मुस्लिम समाज ने। उन्होंने हिन्दू भाइयों की भावना की कद्र करते हुए इस दिन कुर्बानी नहीं देने का फैसला किया। यानी उन्होंने बकरे की कुर्बानी उस दिन नहीं दी। वहां आज कुर्बानी दी जा रही है। यह पहला मौका होगा जब कुर्बानी के दिन ही कुर्बानी नहीं दी गई। यह मुमकिन हुआ जामा मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद फरीद आलम के कारण।

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हिन्दुओं की भावना की कद्र करते हुए इमाम ने नमाज के बाद घोषणा की कि संभव हो तो आज कुर्बानी नहीं दी जाए। कुर्बानी अगले दिन दी जा सकती है। उनकी यह सलाह अधिकांश मुस्लिमजन को पसंद आई और उन्होंने जलझूलनी एकादशी के दिन कुर्बानी नहीं देकर सद्भावना की मिसाल पेश की। यह निर्णय इसलिए लिया कि दोनों समुदाय के लोग पर्व सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाएं। सबका उद्देश्य है कि भाईचारा कायम रहे।
दरअसल जलझूलनी पर कोटड़ी चारभुजा में जिले का सबसे बड़ा आयोजन होता है। कोटड़ी श्याम समेत 11 मंदिरों के बेवाणों की शोभायात्रा एक साथ निकाली जाती है। दिनभर आयोजन चलता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां जुटते हैं। जलझूलनी एकादशी ईद पर्व मंगलवार को साथ-साथ होने के कारण मुस्लिम समुदाय ने कौमी एकता बनाए रखने के लिए इस दिन कुर्बानी की रस्म नहीं करने का सामूहिक निर्णय लिया।

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