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10 फांसी की सजा और 3 उम्र कैद पाने वाले नरसंहार के दोषी हाईकोर्ट से बरी

 

पटना। पटना उच्च न्यायालय ने सेनारी नरसंहार के 13 दोषियों को आज बरी कर दिया। न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह और न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया।

खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए 13 दोषियों को बरी करने का आदेश दिया। इससे पूर्व जहानाबाद की जिला अदालत ने नरसंहार के इस मामले में 10 दोषियों को फांसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया। वहीं दोषी द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता बचेश कुमार सिंह, द्वारिका पासवान और मुंगेश्वर यादव के साथ ही बुधन यादव, गोपाल साव, बुटाई यादव, सत्येंद्र दास, ललन पासी, करीमन पासवान, गोराई पासवान, उमा पासवान, विनय पासवान और अरविंद पासवान को दोषमुक्त करा देते हुए रिहा करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि जहानाबाद जिले के कुर्था थाना क्षेत्र के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की रात एक जाति विशेष के 34 लोगों का हाथ-पांव बांधकर गला रेत दिया गया था। इस नरसंहार में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) का हाथ बताया गया था।

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