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यहां मची शराब ठेकों की लूट, वहां कोई लेने वाला नहीं

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मध्यप्रदेश में नहीं आए टेंडर
इंदौर\जयपुर । राजस्थान में जहां इन दिनों शराब का ठेका लेने वालों की गहमा-गहमी चल रही है वही मध्यप्रदेश में हालात उलट हैं। वहां कई जिलों में एक भी टेंडर नहीं आया है। मध्यप्रदेश में शराब का ध्ंधा भी गंदा हो गया है। वर्ष 2015-16 के लिए मध्यप्रदेश की अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानों के ठेके 6 हजार 200 करोड़ में गए थे। वर्ष 2016-17 के लिए ये ठेके 5 हजार करोड़ मेंं चले जाए तो भी बड़ी बात होगी। इंदौर की शराब दुकानों के ठेके तो प्रतिष्ठा और डीसी विनोद रघुवंशी के दबाव में ठेकेदारों ने ले लिए। किंतु भोपाल, ग्वालियर, धार, झाबुआ, अलिराजपुर, जबलपुर सहित सभी जिलों की हालत बहुत ही खराब हैं। कोई भी ठेकेदार आगे नहीं आ रहे हैं। वर्तमान ठेकों की राशि में 20 प्रतिशत राशि बढ़ा कर ठेके लेना तो दूर की बात हो गई है, कोई ठेकेदार ग्रुप टेण्डर डालने ही आगे नहीं आ रहा है।

भोपाल रतलाम ग्वालियर में 2-3 टेण्डर

भोपाल, रतलाम, ग्वालियर में सिर्फ 2 और 3 टेण्डर ही आए हैं। धार, झाबुआ, अलिराजपुर में 29 फरवरी को टेण्डर की तारीख थी। यहां एक भी टेण्डर नहीं आए इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे मध्यप्रदेश की क्या स्थिति होगी, जबकि ये गुजरात से लगे हुए जिले हैं और इन जिलों के रास्तों से होकर अवैध रूप से शराब गुजरात ले जाई जाती है। जबलपुर में दिनांक 01 मार्च को टेण्डर की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।

ठेकेदार हर तरह से परेशान

नए और छोटे ठेकेदार हर तरह से परेशान हो जाते हैं। बड़े तस्करों और अवैध शराब बेचने वालों पर लगाम नहीं लग पाती है, ऊपर से करोड़ों के ठेके लेने के बाद पुलिस, आबकारी अधिकारियों, कथित पत्रकारोंं का डर बना रहता है और सेवा हमेशा करना होती है। मासिक बंदी तो ऐसे देना होती है जैसे ठेके लेकर कानून का बड़ा उल्लंघन कर दिया हो। वर्ना साल भर में दो बार केस तो मामूली बात है। इसका खामियाजा अब सरकार को भुगतान पड़ेगा क्योंकि कोई भी ठेकेदार और ग्रुप आगे नहीं आ रहे हैं। मध्यप्रदेश के वर्तमान हालातों में अगर 4 हजार करोड़ का राजस्व भी शराब ठेके से मिल जाए तो बड़ी बात होगी।

पीएस, कमिश्नर, डीसी, एसी, डीओ सब परेशान

वर्ष 2016-17 के लिए अंग्रेजी देशी शराब दुकानों के ठेके बड़ी हुई राशि में देने के लिए सीएस ने पीएस पर और पीएस ने कमिश्नर पर और कमिश्नर ने मध्यप्रदेश के जिलों में पदस्थ डीएसी, एसी और डीओ पर दबाव बना रखा है। आबकारी कमिश्नर राकेश श्रीवास्तव भी सभी जिलों के दौरे कर रहे हैं और ठेेकेदारों को ठेके लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।

सभी अधिकारियों की जान हलक में अटकी हुई है। अधिकारियों की कोशिश है कि कैसे भी ठेके चले जाए और जान बचे। आबकारी विभाग के वो अधिकारी अभी खुश हैं जो जिले में पोस्टिंग के लिए जोड़-तोड़ के लिए लगे रहते थे और अभी उनको किसी जिले में पोस्टिंग नहीं मिली है। अर्थात् यह पहली बार है कि जो आबकारी अधिकारी लुप लाईन में हैं वो खुश नजर आ रहे हैं।

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