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छीपा समाज की विरासत को सहेजे हुए है टोंक

आशीष नामा/नामदेव न्यूज डॉट कॉम

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अजमेर। राजस्थान का शहर टोंक। जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, करौली आदि जिलों की सीमा से सटे इस जिला मुख्यालय में छीपा समाज की विरासत आज भी जिंदा है। यहां हर साल छीपा सप्तमी महोत्सव के बहाने इस विरासत को और तरोताजा किया जाता है। यहां के समाजबंधु धर्मभीरू, मेहनती, परम्परावादी, सहज-सरल हैं। यहां समाज के कई परिवार निवास करते हैं जो वाकई एक-दूसरे से मिल-जुलकर रहते हैं। इतना ही नहीं, दर्जी समाज के परिवारों से भी इनका अच्छा मेलजोल है। समाज के कई प्राचीन मंदिर हैं।

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कुंडियों के बालाजी
टोंक आज भी छीपा समाज की विरासत को समेटे हुए हैं। कुंडियों के बालाजी मंदिर परिसर में पहले कई छीपा परिवार छपाई-रंगाई का काम करते थे। वे अपनी कुंडियां भी यहीं रखते थे, इसलिए इस मंदिर का नाम कुंडियों के बालाजी पड़ा। यहां एक कुआ भी था। मंदिर में गणेशजी, हनुमान जी, शिव परिवार की प्रतिमाएं हैं। इसी मंदिर परिसर में समाजबंधुओं ने आपसी सहयोग से विशाल छात्रावास भवन बनाया है।

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मंदिर श्री दाणेराय श्री नामदेव महाराज टोंक
यह मंदिर पुरानी टोंक के छीपों के मोहल्ले में स्थित है। मंदिर में शिव परिवार, राधा-कृष्ण व हनुमान जी की प्रतिमाएं हैं। यह मंदिर काफी प्राचीन है। इसका जीर्णोद्धार कराया गया है। इस मंदिर के स्वामित्व में दो मंजिला भवन भी है जिसके किराए से मंदिर का खर्च चलता है व सालभर विभिन्न आयोजन होते हैं।

मंदिर श्री मुरलीधर श्री नामदेव छीपा समाज टोंक
यह मंदिर भी छीपों का मोहल्ला पुरानी टोंक में स्थित है। इस मंदिर के कमरे भी किराए पर दिए हुए हैं। इस आय से मंदिर का खर्च चलता है व सालभर विभिन्न आयोजन होते हैं।

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