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अजब हालात : जेल की सलाखें नहीं किसी की सगी

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पूर्व जेल अधीक्षक सोमकुंवर सेंट्रल जेल में बंद
इन्दौर। जेल में आने के बाद पूर्व जेल अधीक्षक सोमकुंवर आजादी का मतलब समझ रहे हैं।  जहां एक ओर आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुछ कैदियों की सजा माफ कर गणतंत्र दिवस पर रिहा किया जाएगा, वहीं सोमकुंवर खुद की रिहाई की राह देख रहे हैं।

जेल में उन्हें एक-एक पल भारी पड़ रहा है।  गणतंत्र दिवस पर सेंट्रल जेल का माहौल कुछ इस बार अलग रहेगा। जो कभी दूसरे कैदियों की रिहाई के लिए नाम भेजते थे वह आज खुद अपनी रिहाई की राह देख रहे हैं।  यह और कोई नहीं दबंगता से नौकरी करने वाले पूर्व जेल अधीक्षक पी.डी. सोमकुंवर हैं। सोमकुंवर आय से अधिक संपत्ति मामले में  करीब तीन माह से सेंट्रल जेल में बंद हैं। वह पिछली बार जब इस जेल पर गणतंत्र दिवस पर थे तो बतौर अधीक्षक  थे, मगर इस बार मामला थोड़ा अलग है।

जेल वही सोमकुंवर वही, मगर फर्क इतना है कि जेल अधीक्षक नहीं कैदी के रूप में वह सेंट्रल जेल में बंद हैं। जहां एक ओर कुछ कैदी गणतंत्र दिवस पर होने वाली उनकी रिहाई को लेकर खुश हैं तो वहीं एक ओर सोमकुंवर खुद की राह देख रहे हैं और बातों ही बातों में वह कह देते हैं कि जेल में आने के बाद आज आजादी का मतलब समझ में आया है।

गणतंत्र दिवस पर हर बार की तरह सेंट्रल जेल में बंद कैदी झांकी का निर्माण करते हैं और इस बार भी झांकी का निर्माण जोर- सोर  पर चल रहा है। झांकी निर्माण कर रहे कैदी इस विश्वास के साथ झांकी  का निर्माण कर रहे हैं कि उन्हें इस बार भी प्रथम पुरस्कार मिलेगा।

 

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