मृतक नरेश खन्ना के मुताबिक, वह इस घोटाले से मानसिक रूप से परेशान थे, क्योंकि उनके जीवन की कमाई को भतीजों ने ठग लिया था। सुसाइड नोट के मुताबिक उसने होशपूर्वक नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था कि वह न तो पागल था और न ही पागलपन का कोई इलाज करवा रहा था। सुसाइड नोट में मृतक ने अपने भतीजे पर आरोप लगाया है कि तीनों ने उसे 41 लाख रुपए में जमीन का एक प्लॉट दिया था, जो भारतीय रेलवे के स्वामित्व में था, जिसकी पुष्टि आर.टी.आई. द्वारा की गई थी।
मृतक नरेश खन्ना अपने भाई के पास गया था और उससे पैसे लौटाने और जमीन वापस लेने को कहा था। मृतक के मुताबिक एक दिन जब वह अपने भाई से बात करने गया तो तीनों भतीजों ने उसे गालियां दी और जान से मारने की धमकी दी, जिससे मजबूर होकर उसने आत्महत्या कर ली।
मृतक ने सुसाइड नोट में लिखा है कि तीनों बेहद खतरनाक हैं और इनकी पहुंच काफी दूर तक है। नरेश खन्ना ने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर करते हुए लिखा कि उनसे धोखे से लिए गए पैसों में से 2 लाख रुपए श्री राम मंदिर अयोध्या, 2 लाख श्री काली माता मंदिर रामपुर बिलड़ो, 1 लाख रुपए श्री वैष्णो देवी मंदिर गढ़शंकर को, 1 लाख रुपए शमशान घाट गढ़शंकर को और शेष 35 लाख रुपए उनके पुत्र गौरव खन्ना को दे दिए जाएं।