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भू-माफिया ने गायब किया ‘राम का सरोवर’

koshambhikoshambi
कौशाम्बी। उतर प्रदेश में कानून का राज नहीं माफिया का राज चलता है , इसका एक जीता जागता उदाहरण सामने आया है कौशाम्बी जिले में , जहाँ भू-माफिया इन्सान की जमीन ही नहीं मर्यादा पुरुषोतम भगवान् राम की मान्यता से जुड़े तालाब राम जूठा के अस्तित्व को ही मिटाने पर तुले है। कभी 80 से 90 बीघे में फैला राम-जूठा तालाब अब मौजूदा समय में अतिक्रमण का शिकार होकर महज 15 से 18 बीघे में ही रह गया है। भूमाफिया के निशाने पर आने के बाद से दिन-ब-दिन अपने वजूद के लिए कराह रहे मर्यादा पुरुषोतम राम के इस सरोवर पर कौशाम्बी के अधिकारी बेहद लापरवाही भरा बयान ही देते नज़र आते है।
कौशाम्बी के चरवा ग्राम सभा में अपने वजूद के लिए आंसू बहा रहा यही वह मर्यादा पुरुषोतम भगवान् राम का सरोवर राम जूठा है। मान्यता यह है कि त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोतम भगवान् राम अपने वन गमन के समय इलाहाबाद स्थित श्रंगवेरपुर घाट से गंगा पार कर कौशाम्बी के इसी चरवा नामक स्थान पर माँ सीता और भाई लक्ष्मण समेत सरोवर के किनारे पहुचे थे। विद्वानों और ऋषि मुनियों के मुताबिक भगवान् राम अवध राज्य की सीमा छोड़ जब वत्स देश की सीमा में पहुंचे , उस समय शाम हो चुकी थी। महामंडलेश्वर, राम जूठा, चरवा श्री महंत रामेश्वर जी महाराज अनुसार भगवान् राम ने पानी और भाई समेत इसी राम जूठा सरोवर के बरगद के पेड़ के नीचे रात गुजारी और सुबह इसी सरोवर के जल से स्नान ध्यान के बाद सरोवर का जल पान किया। जिसके बाद से ही इस सरोवर का नाम राम जूठा पड़ गया।

जिस भगवान् के राम के नाम से लोक और परलोक के सारे दुःख दूर हो जाते है , उन्ही मर्यादा पुरुषोतम भगवान् राम की अनोखी धरोहर राम जूठा सरोवर मौजूदा समय में अपने अस्तित्व के लिए भू माफिया के रहमो करम पर जिन्दा है। 80 से 90 बीघे के सरोवर का 80 फीसदी हिस्सा अतिक्रमण की भेट चढ़ चुका है। लोगो ने पौराणिक सरोवर के किनारे पक्के निर्माण करा लिए है तो वही कुछ ऐसे लोग भी है जिन्होंने सरोवर के बीच के हिस्से में ही कच्चे रिहायसी मकानों को बना कर अपना कब्ज़ा कर लिया है। कौशाम्बी की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत के क्षेत्र पंचायत सदस्य रहे रजनीश पाण्डेय इस बात से बिलकुल भी इत्तेफाक नहीं रखते है कि भू माफिया इस सरोवर के अस्तित्व को ही मिटा देना चाहते है। रजनीश पाण्डेय के मुताबिक सरोवर के चारो तरफ घनी आबादी है , जिसके कारण सरोवर को समतल कर यदि इसे बेचा जाय तो मौजूदा समय में इस सरोवर के जमीन की कीमत प्रति बीघे 2 करोड़ रुपये होगी। ऐसे में गिद्द की नज़रे लिए भू-माफिया की नज़र इस पर हमेसा से बनी रहती है।

मर्यादा पुरुषोतम राम के इस सरोवर को स्थानीय लोगो ने बचाने की ऐसा नहीं है कि तमाम कोशिशे नहीं की। राम की इस विरासत को बचाने के लिए लोगो ने कौशाम्बी में आने वाले हर संतरी से मंत्री तक से मदद की गुहार लगाईं गई। नतीजा आपके सामने सरोवर का दर्द खुद बयां कर रहा है।
भगवान् राम के वन गमन के समय का इस सरोवर में उस समय जैसा जल अब नहीं रह गया है , इतना ही नहीं सियासी लिहाज से मर्यादा पुरुषोतम का यह सरोवर वोट देने का अधिकार भी नहीं रखा , लेकिन इस सरोवर पर कब्ज़ा कर रहने वाले लोग जरुर किसी न किसी राजनैतिक दल से जुड़े है और वह अपने वोट से राजनैतिक नफे नुकसान को तय करते है। शायद यही वजह है कि राम के नाम पर सियासत की रोटिया सेकने वाली पार्टिया भी राम की इस धरोहर को बचाने की दिशा में कोई कदम नाह उठाना चाहती।
ये तो रही राजनैतिक पार्टियों की बेरुखी की बात। अब आइये जिला प्रशासन के उन अफसरों से सवाल करते है , जिनकी जिम्मेवारी बनती है कि एतिहासिक और पौराणिक मान्यता वाली धरोहरों की हिफाजत करने की। राम के सरोवर के मिटते वजूद का सवाल लेकर जब चायल तहसील के उप-जिला अधिकारी अश्वनी सिंह से बात करने पहुचे , तो उन्होंने अपने पहले ही बयान में इस बात को ख़ारिज कर दिया कि जिस राम जूठा सरोवर की बात की जा रही है वह सरोवर ही उनके सरकारी अभिलेख में है ही नहीं। एसडीएम अश्वनी सिंह के मुताबिक राजस्व अभिलेखों में पिछले 100 सालो से तालाब की शक्ल में दिखने वाली भूमि आबादी में दर्ज है। हालाकि एसडीएम साहब हमें इस बात का कोई अभिलेख नहीं दिखा सके। अपने आप को बयानों में घिरता देख एसडीएम चायल साहब ने इस बात को स्वीकार किया की वह जिला अधिकारी के निर्देश पर तालाब की शक्ल में दिख रहे भू भाग को सुधार कर उसका सही स्वरुप जल्द देगे।

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