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रोचक खबर : रावण को भी लगा GST का तीर, कुम्भकर्ण-मेघनाद का हो गया सफाया

नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी के तीर से इस बार आम आदमी तो क्या खुद रावण भी नहीं बच पाया है। देशभर में रावण का पुतला बनाना महंगा हो चुका है।


दरअसल पुतला बनाने के काम आने वाली तमाम चीजों के दाम जीएसटी की वजह से बढ़ चुके हैं। इनका असर अब परम्परा निभाने पर भी पड़ रहा है। खर्च में कटौती करने के लिए लोग अब पुतले के आकार में कटौती कर रहे हैं। साथ ही कुम्भकर्ण और मेघनाद को लोग अवॉयड कर रहे हैं।


पुतले बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस साल जीएसटी से तमाम सामान काफी महंगा हो गया है। बांस की एक कौड़ी (20 बांस) का दाम इस साल 1,000 से 1,200 रुपए हो गया है।

पिछले साल इसका दाम 700-800 रुपए कौड़ी था। इसी तरह पुतलों को बांधने के लिए इस्तेमाल होने वाले तार का दाम भी 40-50 रुपए किलो तक चला गया है। कागज 25 रुपए किलोग्राम पर पहुंच गया है।
लागत बढऩे की वजह से इस बार बड़े पुतलों के ऑर्डर कम हो गए हैं। छोटे पुतलों के आर्डर ज्यादा आ रहे हैं। साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की तो मांग कम हो गई है।
पश्चिमी दिल्ली का तातारपुर गांव राजधानी में रावण के पुतलों का प्रमुख बाजार है। यहां पुतले बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि इस बार पुतलों का दाम 300 से 350 रुपए फुट पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 250 रुपए फुट था। ज्यादातर आयोजक 30 से 40 फुट तक के ही पुतले बनवा रहे हैं जबकि गली मोहल्लों में जलाने के लिए लोग 10-20 फुट के पुतलों की मांग कर रहे हैं। 40 फुट के रावण का दाम 12,000 से 15,000 रुपए है। पिछले साल यह 10,000-11,000 रुपए था।

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