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संघ के वरिष्ठ प्रचारक हल्देकर का निधन, अंतिम संस्कार कल

हैदराबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामचन्द्रजी सदाशिव हल्देकर जिन्हें लोग प्यार से रामभाऊ हल्देकर कहते थे, का गुरुवार दोपहर निधन हो गया । फिलहाल उनका पार्थिव शरीर संघ के प्रांतीय कार्यालय में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया है जहाँ हजारों की संख्या में आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वंयसेवक, कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इनकी शवयात्रा 24 फरवरी को सुबह 10 बजे केशव निलयम से शुरू होगी और अम्बेरपत श्मशान वाटिका में अंतिम संस्कार किया जायेगा।

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महाराष्ट्र के संभाजीनगर के हालदा गाँव में 05 फरवरी 1930 , दासनवमी को जन्मे रामभाऊ हल्देकर जब भाग्यनगर (हैदराबाद) में स्नातक विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे, तभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से इनका जुड़ाव हो गया।

इसके बाद रामभाऊ हल्देकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता बन गये और इसके बाद इन्हें 1954 में भाग्यनगर का संघ प्रचारक बना दिया गया।

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इसके बाद 1959 से लेकर 1962 तक हैदराबाद के साथ-साथ पलामुर, मेदक, निजामाबाद के भी प्रचारक की जिम्मेदारी दी गयी।

1963 में फिर इनकी जिम्मेदारी बढ़ाते हुए वारंगल का विभाग प्रचारक बना दिया गया। 1969 में भागनगर का और 1978 में विजयवाड़ा का विभाग प्रचारक बना दिया गया। 1980 से लेकर 1989 तक सह प्रान्त प्रचारक के रूप में सेवा दी। 1989 में ही इन्हें आन्ध्र प्रदेश का प्रान्त प्रचारक का दायित्व दे दिया गया।

उन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण प्रक्षेत्र के अधीन ही आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक था | 1990 में इनकी जिम्मेदारी बढ़ाकर दक्षिण क्षेत्र का सह क्षेत्र प्रचारक बना दिया गया। फिर 1991 में इन्हें दक्षिण पूर्वी क्षेत्र का क्षेत्र प्रचारक बना दिया गया जिसमें आन्ध्र प्रदेश के साथ ओडिशा प्रान्त भी शामिल था। वर्ष 2003 के बाद से लगातार वे दक्षिण मध्य क्षेत्र के क्षेत्र कार्यकारिणी रहे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे रामभाऊ हल्देकर के भाई और कई बहनें भी संघ स्वंयसेवक के रूप में जुड़े रहे हैं | तेलंगाना और आँध्रप्रदेश में रहने वाले इनके कई रिश्तेदार और परिवार के लोग संघ से करीब से जुड़े हैं।

रामभाऊ हल्देकर की मातृभाषा मराठी थी और स्कूली शिक्षा के दौरान भी इन्होने तेलुगु नहीं पढ़ी मगर तेलुगु क्षेत्र में काम करने के लिए इन्होने तेलुगु भी सीखा | इतना ही नहीं इन्होने मराठी भाषा वाली कई पुस्तकों का भी तेलुगु भाषा में अनुवाद किया।

संघ संस्थापक डाक्टर केशव बलराम हेडगेवार जी के जीवन पर लिखी गयी मराठी पुस्तक ‘ पेनुथुफनुलो दीपास्थाम्बम’ और श्री गुरूजी गोलवलकर के जीवन की मराठी में प्रकाशित बायोग्राफी ‘ओम राष्ट्राया स्वाहा’ का भी तलुगु में अनुवाद किया | बालासाहेब देवरस के जीवन पर आधारित उपन्यास का भी तेलुगु में अनुवाद किया।

रामभाऊ हल्देकर ने आंध्र प्रदेश और तेलन्गाना में संघ को मजबूत करने के लिए धरातल पर काम किया और एक-एक ईंट जोड़कर संघ की बड़ी मजबूत ईमारत खड़ी की। इनकी प्रेरणा से ही लाखों संघ के स्वंयसेवकों ने जीवन संघ के लिए समर्पित कर दिया |

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