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हिमाचल की जड़ी बूटियां बिक रही कौड़ियों के दाम, पतंजलि की मौज

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शिमला। हिमाचल की बहुमूल्य औषधीय जड़ी बूटियां कौड़ियों के दाम बिक रही हैं। प्रदेश से 40 फीसदी जड़ी बूटियों को कौड़ियों के दाम पतंजलि योग पीठ के लिए सप्लाई किया जा रहा है।

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से सस्ते दामों पर यह जड़ी बूटियां पतंजलि योगपीठ को दी जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जड़ी बूटियों किसी प्रकार का बाजार उपलब्ध होना नहीं और न ही सरकार के पास इसके लिए कोई नीति है।

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प्रधान सचिव वन एवं पर्यावरण तरूण कपूर ने बताया प्रदेश की 40 फीसदी जड़ी-बूटियां पतंजली योगपीठ के पास जा रही है, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इनकी कीमत मालूम नहीं है। हाल ही में डाबर कंपनी की आेर से भी ऑफर आया है, 30 लाख रुपये सालाना सरकार को देने के लिए भी राजी है।

वन विभाग के अनुसार प्रदेश के लोगों को औषधीय पौधों की कीमतों के बारे जानकारी न होने के कारण ये बहुमूल्य जड़ी बूटियां कौड़ियों के दाम पतंजली योगपीठ को बेची जा रही है।

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हिमाचल से पतंजलि योगपीठ को जड़ी बूटियां सप्लाई करने का यह गोरखधंधा गुपचुप तरीके से चल रहा है। जबकि जड़ी बूटियों को बेचने के लिए वन विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी होता है।

अब कसेंगे नकेल

प्रदेश से जड़ी बूटियां बेचने के इस गोरखधंधे पर नकेल कसने के लिए वन विभाग ने योजना तैयार कर ली है।

वन विभाग अब आयुर्वेद औषधी निर्माता कंपनियों के साथ एग्रीमेंट करने जा रहा है। ताकि प्रदेश की बहुमूल्य जड़ी-बूटियोंं को सही कीमत पर बेचा जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी मिल सके।

वन विभाग के अनुसार आयुर्वेद कंपनी डाबर से भी प्रदेश सरकार को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए ऑफर आया है। यह कंपनी प्रदेश सरकार के साथ सालाना 30 लाख रुपये का एग्रीमेंट करने को भी राजी है।

प्रदेश में अब तक सौ प्रकार की जड़ी-बूटियां चिंहित की गई हैं। जिसमें मुख्य रूप से हरड़, बेहड़ा, नीम, तुलसी, जायफल, एेलोवेरा, शंखपुष्पी, कलौंजी सहित सौ प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं।

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