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‘अक्षय घट’ बने पेट्रोल पंप अब तक क्यों नहीं हुए ड्राई ?, ज्यादा नहीं चली हड़ताल

 

 

सन्तोष खाचरियावास

जयपुर/अजमेर। राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कराने के लिए पेट्रोल पंप संचालक हड़ताल पर उतरे। दो दिन तक सुबह 10 से शाम 6 बजे तक पेट्रोल डीजल की बिक्री बंद रखने का राज्य सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा तो आज शुक्रवार से पूरी तरह हड़ताल शुरू कर दी लेकिन यह हड़ताल ज्यादा नहीं चली बल्कि कुछ ही घण्टों में टूट गई। न्यूज नजर ने इस हड़ताल की सफलता पर पहले ही सवाल उठा दिए थे।
इसकी वजह यह है कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने बिना दबाव में आए यह हड़ताल तुड़वाने के लिए कमर कस ली। सभी जिला कलेक्टर को पेट्रोल डीजल की बिक्री व्यवस्था बहाल कराने के निर्देश दे दिए गए। प्रशासन और पेट्रोल पंप संचालकों के बीच वार्ता का दौर चला। प्रशासन उन्हें पेट्रोल डीजल की बिक्री को आवश्यक सेवाओं में बताते हुए कार्रवाई की चेतावनी भी दे दी। इसी बीच दोपहर में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरपीडीए को आश्वासन दिया कि अगले 10 दिन में एक कमेटी गठित की जाएगी जो राज्य में पेट्रोल डीजल पर लागू वैट की समीक्षा कर रिपोर्ट देगी। उस आधार पर सरकार कोई निर्णय लेगी। आश्वासन का झुनझुना मिलते ही आरपीडीए ने हड़ताल स्थगित कर दी।
दूसरी ओर कई मुद्दों पर खुद पेट्रोल पंप संचालकों के बीच ही गतिरोध उत्पन्न होने लगा था। इसकी वजह यह है कि कुछ बड़े डीलर्स मिलकर छोटे डीलर्स के साथ ‘खेल’ कर रहे हैं। जिन बड़े डीलर्स के पास खुद के तेल टैंकर हैं, उन्होंने अपने टैंक के साथ ही टैंकर भी भरवाकर खड़े कर लिए। ऐसे में हड़ताल के औचित्य पर ही सवाल उठने लगे हैं।

ड्राई क्यों नहीं हुए पम्प ?

हड़ताल के तहत राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने तय किया कि 13 सितम्बर से कोई भी डीलर टर्मिनल से सप्लाई नहीं उठाएगा। 13 एवं 14 सितम्बर को सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक पेट्रोल डीजल की बिक्री नहीं करेगा। 15 सितम्बर से पेट्रोल पंप अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
आरपीडीए के इस निर्णय की पालना छोटे डीलर तो करते रहे लेकिन बड़े डीलर ने इस हड़ताल की आड़ में भी लाखों की कमाई कर ली है। दूसरों को मना करने वाले कई बड़े डीलर्स ने खुद ही 13 और 14 सितम्बर को टर्मिनल से सप्लाई उठा ली। उनके यहां 13 और 14 सितम्बर को देर रात तक धड़ल्ले से पेट्रोल डीजल की बिक्री हुई और टर्मिनल से आई गाड़ियां टैंक में खाली होती रही।
रोचक बात यह है कि अजमेर में सराधना टर्मिनल से पेट्रोल डीजल की टीटी बाहर नहीं आने देने के लिए कुछ बड़े डीलर ने दिखावे के लिए वहां धरना दिया तो दूसरी तरफ खुद ने ही अपने यहां कई टीटी सप्लाई मंगवाकर टैंक लबालब कर लिए। इसके बाद देर रात तक पेट्रोल डीजल की बिक्री करते रहे।
जब इसका पता अन्य डीलर्स को लगा तो उनमें रोष फैल गया। उनका कहना था कि आंदोलन के अगुवा बने डीलर्स खुद ही आरपीडीए के निर्णय को बत्ती लगा रहे हैं। जब दो दिन तक उन्होंने सुबह-शाम तेल बेचा और सप्लाई भी नहीं मंगवाई तो अब तक उनके पम्प ड्राई क्यों नहीं हुए? जाहिर है वे चोरी छिपे सप्लाई मंगवाकर माल बेच रहे थे।
दूसरा, ग्रामीण इलाकों में इन दिनों रबी की बुवाई का सीजन है, ऐसे में डीजल की जमकर खपत हो रही है। हड़ताल की वजह से ग्रामीण इलाकों के पेट्रोल पंप संचालकों को तो स्टाफ की तनख्वाह और बिजली का बिल तक निकालना मुश्किल हो जाएगा। इन हालात में वे वैसे भी हड़ताल पर ज्यादा टिकने वाले नहीं थे।

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