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‘काले कानून’ को लेकर राजस्थान विधानसभा में जमकर हंगामा

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को दंड विधियां संशोधन विधेयक को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने प्रस्तावित विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक- झोंक हुई।

सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इस सत्र में लाए जाने वाले विधेयक सदन की मेज रखे जा रहे थे। इसी दौरान विपक्ष ने प्रस्तावित दंड विधियां संशोधन विधेयक को लेकर आपत्ति जताई। लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।

भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहा लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अनुमति नहीं। इस पर नाराज तिवाड़ी ने सदन से वॉकआउट कर गए। इसके बाद तिवाड़ी वापस आए और अपनी बात रखनी चाही लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। इस पर तिवाड़ी ने धरने पर बैठने की चेतावनी दे डाली।

संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़, कांग्रेस सदस्य रमेशन मीना और गोविंदसिंह डोटासरा के बीच तीखी नोंक- झोंक हुई। राठौड़ ने कहा कि तिवाड़ी कांग्रेस के नहीं भाजपा के विधायक है।

विधेयक को लेकर गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सदन में दंड विधियां संशोधन विधेयक पर सरकार विपक्ष की बात सुनना चाहती है, जो भी कमियां, खामियां हैं उसे दूर करेंगे। लेकिन विधेयक को सदन की मेज पर तो आने दो।

निर्दलीय विधायक माणकचंद सुराणा ने कहा कि दंड विधियां संशोधन विधेयक 2017 जो सदन में प्रस्तुत किया गया है। यह केन्द्रीय कानून और आइपीसी दोनों को संशोधित करता है। यह संविधान में माना हुआ सिद्धांत है कि केन्द्रीय कानून को संशोधित करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति इस विधेयक के साथ होनी चाहिए। जो विधेयक हमें सर्कुलेट किया गया है, इसके साथ कल रात तक इसके जारी होने के कारण भी हमें नहीं भेजे गए थे।

और मूल बात यह है कि इस विधेयक साथ राष्ट्रपति की अनुमति नहीं हैं। इस विधेयक को लाने के लिए किसने इन्हें सलाह दी और गृहमंत्री को किसने प्रेरित किया यह बहुत दुखद है।

भारतीय जनता पार्टी यह ध्यान रखे कि चुनाव में अब एक साल बचा है और यह जनसेवकों और जजों की रक्षा के लिए है। हम विधायक नहीं चाहते है कि हमारी रक्षा आप करें। यदि हम कोई भ्रष्टाचार करते हैं तो उसे उजागर होने दीजिए।

जब से सीआरपीसी बनी है जजों को यह अधिकार है कि वह जनहित के मुद्दों पर संज्ञान ले सकते हैं। पिछले 70-80 साल में आसमान नहीं गिरा तो अब क्या हो जाएगा। आपातकाल के लिए हम कांग्रेस को दोषी मानते है लेकिन आज जो हम कर रहे हैं अघोषित आपातकाल है। हालांकि शोकाभिव्यक्ति के दौरान ये लोग सदन में मौजूद रहे।

इससे पूर्व कांग्रेस के विधायक लोकसेवकों को बचाने के लिए लाए जा रहे बिल के विरोध में मुंह पर काली पट्टी बांधकर विधानसभा पहुंचे है। कांग्रेस विधायकों का कहना है यह एक काला कानून है जिसे किसी भी हाल में पास नहीं होने दिया जाएगा।

विधानसभा पहुंचे सरकार के कई मंत्रियों ने दोहराया कि यह बिल भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए नहीं बल्कि ईमानदार लोकसेवकों को झूठे मुकदमों में फंसने से रोकने के लिए है।

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