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खुद को जाहिर करना है सेल्फी, अभिव्यक्ति पर क्यूं उठाएं सवाल ?

जैसे एक बच्चा आईने के सामने खुद को देखकर, खुद से बात करके खुद से पहचान करता है…जैसे कोई बड़ा शख्स अकेले में आईने के सामने खुद को निहारता है, खुद को तौलने की कोशिश करता है…अकेले में गाकर, बड़बड़ाकर खुद को अभिव्यक्त करता है, ठीक उसी तरह वह मोबाइल कैमरे के सामने खुद को जाहिर करता है और उसी रूप में दुनिया के सामने खुद को पोस्ट कर देता है। इसमें दूसरों को कहां तकलीफ दे रहा है, यह समझ नही आता।
पहले प्रिंट का युग था। अब सोशल मीडिया का जमाना है। कागज की जगह स्क्रीन और कलम की जगह की-बोर्ड ने ले ली है। अपनी बात कहने का अंदाज बदल गया है। नए जमाने की नई सोच को सलाम।
हम पत्रकार हैं और अपनी व दूसरों की अभिव्यक्ति का सम्मान करते हैं… करना भी चाहिए।

सन्तोष खाचरियावास

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