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आनंदपाल की आंधी में कटा विकास का रवन्ना!

vikas kumar
अजमेर। जैसा कि पहले से ही अंदेशा था, वही हुआ। शराबखोरी पर शिकंजा कसकर जनप्रतिनिधियों और आबकारी विभाग की आंख की किरकिरी बने पुलिस अधीक्षक विकास कुमार का आखिरकार जिले से ‘रवन्ना’ कट ही गया। उनके तबादले को कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह की फरारी से जोड़कर देखा जा रहा है। या यूं कहें कि सरकार को मौका मिल गया और अजमेर को एक काबिल एसपी से वंचित कर दिया गया।

विकास के कार्यकाल में जिले में पिछले तीन माह अपराधियों पर भारी गुजरे। यहां तक कि चोरी, लूट, चेन स्नेचिंग, डकैती, बलवा-दंगा, हत्या, बलात्कार आदि की वारदातों का ग्राफ कम हुआ। शहर में चलाए गए मिशन मदमस्त के कारण शराबियों पर अंकुश लगा। नौबत यहां तक आ गई कि शराब विक्रेता आबकारी विभाग की शरण में पहुंच गए।

आबकारी विभाग ने पुलिस की सख्ती पर नाराजगी जताते हुए सरकारी कमाई कम होने की दुहाई भी दी। लेकिन विकास ने मिशन मदमस्त जारी रखा। ऐसे में वे कई जनप्रतिनिधियों की आंख में भी खटकने लगे।

तभी से माना जा रहा था कि विकास का अजमेर में कार्यकाल ज्यादा नहीं रहेगा। इसी बीच आनंदपाल फरारी प्रकरण में जिला पुलिस की ऐसी थू-थू हुई कि विकास को जाना ही पड़ा। हालांकि उनके तबादले को सतत प्रक्रिया बताया जा रहा है मगर इतने कम कार्यकाल में तबादले को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं।

 
इसलिए याद रहेगा कार्यकाल
जिले के लगभग 75 प्रतिशत हिस्से में मजदूर वर्ग परिवार निवास करते हैं, जो रोजाना सुबह मजदूरी पर निकलते हैं और शाम को मजदूरी लेकर घर लौटते हैं। मिशन मदमस्त का ऐसा असर हुआ कि वे मजदूरी से छूटते ही शराब ठेकों को भूलकर अपने घरों की ओर रुख करने लगे थे। ऐसे में उनके घरों में पत्नी तथा बच्चे खुशहाली की ओर बढऩे लगे थे।

पिछले तीन माह में शहर सहित जिले के लोगों को लगने लगा था कि जिले में पुलिस भी मौजूद है, जिसे कभी भी आपराधिक वारदात से बचने के लिए मदद करने बुलाया जा सकता है। एसपी विकास ने सिग्मा पुलिस तैनात कर अपराध रोकने की कोशिश की।

थानों में आराम फरमाने वाले पुलिसकर्मियों को गश्त पर निकलने को मजबूर कर दिया था। रात-बेरात चौराहों पर पुलिस नजर आने लगी थी। इसका असर यह हुआ कि अपराधों का ग्राफ कम हुआ। जुआ-सट्टा चल रहा था लेकिन चोरी-छिपे। इन सबका फायदा आमजन को मिला।

मगर अब विकास के तबादले के बाद एक बार फिर अपराधियों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। शराब व नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त अपराधी भी अब अपने ठिकानों को फिर से आबाद करने में जुट गए हैं। उनसे निपटने के लिए नए एसपी नितिन ब्लग्गन कैसी रणनीति अपनाएंगे, यह तो आने वाले दिनों में ही पता लगेगा।
सबसे कम रहा कार्यकाल

जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर लगभग तीन माह पहले आए आईपीएस विकास कुमार का कार्यकाल जिले के इतिहास में सबसे कम रहा। इससे पूर्व आईपीएस एस$ संगाथिर का कार्यकाल लगभग एक साल रहा था। उनका तबादला भी नगर निगम के महापौर धर्मेन्द्र गहलोत तथा उनके बीच हुई तनातनी के कारण राज्य सरकार को करना पड़ा था।

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