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यज्ञशाला की परिक्रमा से आती है दाम्पत्य जीवन में सुख शांति

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दतिया। जिस जगह पर यज्ञ हवन का आयोजन होता है। वहां पर देवताओं का वास होता है। नित्य यज्ञ में डाली आहुतियों से वातावरण में निर्मलता आती है। तथा असुरी शक्तियों का विनाश होता है। जो लोग यज्ञ में भाग नहीं ले सकते हैं। उन्हें यज्ञ शाला की परिक्रमा करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। यज्ञ के दौरान यज्ञ शाला की परिक्रमा करने से दामपत्य जीवन खुशहाल होता है। तथा सुख शांति के साथ धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है यह बात आज उपचार्य शास्त्री उमाशंकर देवलिया ने कही।

पंडोखर सरकार धाम पर पीठाधीश्वर गुरूशरण जी महाराज के सानिध्य में चल रहे नवकुण्डीय श्रीराम महायज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला में प्रतिदिन हवनकुण्डों में आहुतियां डाली जा रही हैं। इस दौरान अनेक महिलाएं व पुरूष यज्ञशाला की परिक्रमा कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। उपचार्य शास्त्री उमाशंकर देवलिया ने यज्ञ की विधि एंव महिमा के बारे में भी बताया।

यज्ञ स्थल पर श्रीमद भागवत सप्ताह व रामकथा का भी आयोजन किया गया है। भागवत कथा में होशंगाबाद से पधारे कथाव्यास पं. संत बसंत बशिष्ट जी महाराज ने पंडोखर धाम में श्रीकृष्ण की जन्म की लीला का वर्णन सुनाते हुए बताया कि जब मथुरा में जेल के अंदर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है। तब जेल के सारे पहरेदार गहरी नींद में सो जाते हैं। महाराज बासुदेव नन्हें श्रीकृष्ण को छोटी सी टोकरी में निआकर यमुना नदी पार कर गोकुल नंद बाबा के घर यशोदा माता के पास छोडकर व उनकी बेटी को लेकर वापस मथुरा जेल आते हैं।

इधर कंस को जब पता चलता है कि देवकी की आठवीं संतान ने जन्म लिया है , तो वह जेल में आकर उसे उठाकर दीवार से मारने की चेष्ठा करता है। तभी वह बेटी देवी का रूप लेकर कहती है कि हे कंस तुझे मारने बाला पैदा हो गया है। इतना कहते ही वह देवी अंर्तध्यान हो जाती है। गोकुल में नंद बाबा के घर बेटे की जन्म की खबर पूरे गांव में फैल जाती है। गांव में खुषियां मनाई जाती हैं। एंव उत्सव आयोजित कर गीत गाए जाते हैं। कथा व्यास पं. संत बसंत बषिष्ट जी महाराज नंद के घर जन्मों है कन्हैया मोहिनी सूरत है लरकईयां गीत गाते हैं। तो पंडाल में बैठे श्रद्वालु झूम उठते हैं। इस दौरान भागवत कथा स्थल पर पीठाधीष्वर गुरूषरण जी महाराज सपरिवार सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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