Breaking News
Home / नामदेव बुलेटिन / यूं मिटी थी छीपा समाज की दूरियां

यूं मिटी थी छीपा समाज की दूरियां

premraj sarawagi02

अजमेर। आज नामदेव समाज की चारों खापों छीपा (गहलोत), रोहिल्ला, टाक व भावसार के एकीकरण के प्रयास जोरों पर हैं। आपस में दूरियां मिट चुकी हैं और परस्पर संबंध भी कायम होने लगे हैं। मगर कुछ सालों पहले तक  खुद नामदेव छीपा (गहलोत) समाज में ही आपसी बिखराव था। मारवाड़ क्षेत्र का छीपा समाज अजमेर-जयपुर आदि से कटा हुआ था। ऐसे में दोनों ओर से जागरूक लोगों ने आपसी एकता के प्रयास किए। एकता सम्मेलन के नाम पर दोनों ओर के समाजबंधु एक जाजम पर बैठे। आपस में गिले-शिकवे व भ्रांतियां दूर कीं। नतीजतन अलगाव दूर हुआ और छीपा समाज एक हो गया।
यह थीं दूरियां
अजमेर के वयोवृद्ध समाजसेवी प्रेमराज सरावगी बताते हैं कि नामदेव छीपा (गहलोत) समाज का एक घटक मारवाड़ क्षेत्र तक फैला है। पूर्व में उस घटक का पूर्वी क्षेत्र से अलगाव रहा। समाज के प्रबुद्ध लोगों ने इस अलगाव को मिटाने के लिए खुला सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया।

इसी कड़ी में रायपुर पाली स्थित झूंठा गांव में 22  मई 1988 को वैचारिक बैठक आयोजित की। इसमें पूर्वी क्षेत्र और मारवाड़ क्षेत्र के जागरूक लोगों ने भाग लिया। इस बैठक में विद्वान वक्ताओं ने छीपा समाज के प्रादुर्भाव से लेकर अब तक के इतिहास पर प्रकाश डाला और यह निष्कर्ष निकाला कि मारवाड़ क्षेत्र का गहलोत छीपा समाज और अन्य क्षेत्रों का छीपा समाज मूलत: एक ही है। पहले के समय में आवागमन के साधन नहीं होने तथा शिक्षा की कमी होने से लोग अपने-अपने क्षेत्रों तक ही सीमित रहते थे। साथ ही कुछ मठाधीशों की वजह से भी दोनों घटक आपस में नहीं मिल पाए। बैठक में सामने आया कि हर क्षेत्र का एक मठाधीश होता है। अगर समाज का विस्तार हुआ तो मठाधीशों का अंह टकराएगा और उनकी सत्ता चली जाएगी। इसी आशंका के चलते उन्होंने दोनों घटकों में दूरियां बनाए रखीं। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दोनों घटकों को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं जिनकी वजह से अब तक एकीकरण नहीं हो पाया है। इन भ्रांतियों पर खुली चर्चा हुई और भ्रांतियों को दूर किया गया।
मारवाड़ क्षेत्र संबंधी ये थीं भ्रांतियां
-खानपान संबंधी
-देवर-भाभी के नाता संबंधी
-हाथीदांत के चूड़े संबंधी
उक्त तीनों भ्रांतियों के बारे में बैठक में खुलकर विचार-विमर्श हुआ। नतीजा निकला कि खानपान व देवर-भाभी के नाता संबंधी भ्रांतियां गलत, निराधार और बेबुनियाद हैं। तीसरी भ्रांति जो हाथीदांत चूड़ा संबंधी थी, उस पर यह स्पष्टीकरण आया कि उस जमाने में हाथीदांत का चूड़ा पहनना सम्पन्नता की निशानी थी। हाथीदांत का चूड़ा बहुमूल्य है। मारवाड़ क्षेत्र की राजपूत, वणिक व अन्य उच्च समाजों की महिलाएं हाथीदांत से निर्मित चूड़ा पहनना गौरव समझती थीं। हालांकि अब इसका प्रचलन खत्म हो गया है। अब महिलाएं फैशनेबल चूडिय़ां पहनने लगी हैं।
अन्य क्षेत्र संबंधी ये थीं भ्रांतियां
मारवाड़ क्षेत्र के लोगों ने अन्य क्षेत्र के लोगों के बारे में प्रचलित भ्रांतियों का जिक्र किया। इनमें मुख्य भ्रांति ‘नील’ गालने की थी। पूर्वी क्षेत्र के लोगों ने स्पष्टीकरण दिया कि वर्तमान में समाज में कहीं भी नील गालने का काम नहीं हो रहा है।
ये मानी पहचान
बैठक में नामदेव छीपा गहलोत समाज की कुछ पहचान तय की गई। नामदेव छीपा समाज का व्यक्ति वह है जिसका जन्म नामदेव छीपा गहलोत समाज में हुआ हो। जिनसे आराध्य व इष्टदेव विट्ठल भगवान व संत नामदेव हों। जिनका खानपान शुद्ध व शाकाहारी हो। जिनके देवर-भाभी में नाता न होता हो।
अंत में निष्कर्ष निकाला कि दोनों घटकों के लोगों का खानपान शुद्ध व शाकाहारी है। उनमें देवर-भाभी नाता का रवाज नहीं है। साथ ही उनके आराध्य भगवान विट्ठल व संत नामदेव हैं। अत: दोनों घटक एक ही हैं। दोनों को एक होकर समाज उत्थान के लिए कार्य करने चाहिए।

 

 

 

पाली रायपुर स्थित झूंठा कस्बे में नवनिर्मित नामदेव भवन। समाजबंधुओं के प्रयासों से इसका निर्माण हो सका है।

पाली रायपुर स्थित झूंठा कस्बे में नवनिर्मित

नामदेव भवन। समाजबंधुओं के प्रयासों से

इसका निर्माण हो सका है।
ब्यावर में भी हुआ एकता सम्मेलन
इसी क्रम में 4 अगस्त 1988 को नामदेव छीपा समाज ब्यावर की ओर से ब्यावर में एकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें जोधपुर, पीपाड़, चित्तौड़, भीलवाड़ा, जैतारण, पाली, सोजत, रायपुर, ब्यावर, बूंदी, अजमेर, रूपनगढ़, बिजयनगर आदि क्षेत्रों के नामदेव छीपा समाज के लोगों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में छीपा समाज के इतिहास से लेकर वर्तमान स्थिति पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। ब्यावर निवासी मोहनलाल गोठरवाल ने सहस्रबाहु व परशुराम के इतिहास से ‘छीपा’ बनने तक की सारी बातों का खुलासा करते हुए बताया कि मारवाड़ क्षेत्र तथा अजमेर व अन्य क्षेत्रों का नामदेव छीपा गहलोत समाज मूलत: एक ही है। सभा में विद्वान वक्ताओं ने छीपा समाज की एकता पर जोर देते हुए पूर्व में प्रचलित भ्रांतियां व शंंकाओं का समाधान किया। खूब विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि दोनों घटक आपस में मिलकर समाज विकास के लिए जुटेंगे। एकता सम्मेलन में मोहनलाल गोठरवाल ब्यावर, ऋषिदेव सोलंकी जोधपुर, नौरतमल पटवा अध्यक्ष व बालूराम छीपा मंत्री नामदेव छीपा समाज नवयुवक मंडल ब्यावर, मूलचंद गोठरवाल बिजयनगर, बालूराम गंगवाल चित्तौड़, पृथ्वीराज चौहान व रामेश्वरलाल गहलोत जोधपुर, रामलाल जी पाली, बाबूलाल गोठरवाल, नाथूलाल सरावगी, जगदीश प्रसाद गोठरवाल, शंकरलाल बंदवाल ब्यावर व प्रेमराज सरावगी अजमेर ने विचार व्यक्त किए।
इस सभा में ब्यावर नामदेव छात्रावास की स्थापना की गई। इसके लिए सभा में उपस्थित बंधुओं ने दस हजार रुपए देने की घोषणा की। ब्यावर के छीपा समाज की ओर से सम्मेलन में आए समाजबंधुओं के लिए भोजन की व्यवस्था की गई।
कुल मिलाकर इस प्रकार विरोधाभास दूर करके सौहार्दपूर्ण माहौल में छीपा गहलोत समाज का एकीकरण हुआ।

new year02

Check Also

सन्त नामदेव जी की चमत्कार स्थली पर मेला 22-23 दिसम्बर को, नामदेव बंधु उमड़ेंगे

बारसा धाम में जगमोहन का जगराता पाली। राजस्थान के पंढरपुर के नाम से विख्यात पाली …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *