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पहलगाम में टैक्सी चालकों की हड़ताल से अमरनाथ यात्री फंसे, प्रशासन ने छिपाई सच्चाई

पहलगाम बेसकैम्प के बाहर 13 जुलाई की सुबह 7 बजे तक टैक्सी के लिए परेशान होते यात्री।
सन्तोष खाचरियावास @ पहलगाम
श्री अमरनाथ यात्रा 2023 में पहलगाम टैक्सी यूनियन की हड़ताल के कारण कई यात्रियों को बाबा बर्फानी के दर्शन किए बिना बैरंग लौटना पड़ा। साथ ही स्थानीय प्रशासन ने भी यात्रियों से हड़ताल सम्बन्धी तथ्य छिपाए रखा। मामला 13 और 14 जुलाई का है।
टैक्सी चालक सब्जर (मोबाइल नम्बर 7006539675) ने 13 जुलाई को बताया कि इस बार प्रशासन ने टैक्सी के पर्ची सिस्टम में बदलाव किया। इस कारण यूनियन को हड़ताल करनी पड़ी। पहले रोजाना सुबह टैक्सी स्टैंड पर ही पुलिस टैक्सी की जांच कर पर्ची जारी कर देती थी। इस पर्ची के आधार पर टैक्सी चालक पहलगाम बेसकैम्प से लेकर चन्दनबाड़ी तक 6-7 चक्कर तक कर लेते थे। हालांकि इस बीच टैक्सी घुमाकर होटलों में ठहरे यात्रियों को भी चन्दनबाड़ी ले जाते थे।
लेकिन इस बार प्रशासन ने टैक्सी चालकों को बेसकैम्प तक आकर हर चक्कर के लिए अलग पर्ची लेने के लिए पाबंद कर दिया।
टैक्सी चालक सब्जर ने बताया कि नए पर्ची सिस्टम की वजह से उन्हें प्रति चक्कर ज्यादा समय लग रहा था और यात्री भी कम संख्या में ऊपर पहुंच पा रहे थे। उसने बताया कि आज उसके केवल दो चक्कर ही हो पाए। तीसरे चक्कर मे यात्रियों को लेकर जा रहा था कि चन्दनबाड़ी के गेट बंद कर दिए गए और उसे यात्रियों को लेकर हाथों हाथ नीचे लौटना पड़ा।

13 जुलाई की स्थिति

हुआ यूं कि पहलगाम बेसकैम्प में 13 जुलाई की सुबह 3 बजे से 6 बजे तक सभी यात्रियों को चन्दनबाड़ी के लिए छोड़ने की खातिर हमेशा की तरह लाइन में लगाया गया। और जब हजारों यात्री बेसकैम्प से बाहर निकले तो वहां पर्याप्त टैक्सियां नहीं थीं। हजारों यात्री परेशान हो रहे थे। चुनिंदा टैक्सियां आ रही थीं और हाथों हाथ भरकर चन्दनबाड़ी जा रही थीं। जबकि यात्री हजारों की तादाद में थे। सुबह 8 बजे हम चार यात्री पैदल ही बेसकैम्प से चन्दनबाड़ी की तरफ बढ़े तो आगे मुख्य सड़क पर पुलिस ने कांटों की बाड़ लगाकर यात्रियों को रोक रखा था। उन्हें बेसकैम्प की तरफ लौटने नहीं दिया जा रहा था। ना ही होटलों की तरफ जाने दिया जा रहा था।
हम तारबंदी से बाहर थे और आराम से खुले में खड़े थे। हमने दो पुलिस कर्मियों से पूछा कि पैदल चन्दनबाड़ी जा सकते हैं क्या। उन्होंने कहा-आराम से जा सकते हो, सिर्फ 45 मिनट में पहुंच जाओगे।
उन पर विश्वास करके हम जैसे ही कांटों की बाड हटवाकर भीड़ में घुसे तो पता चला कि हजारों यात्रियों को सड़क पर ही बंधक बना रखा है और हम भी बंधक बन चुके थे। नाराज यात्रियों ने जाम लगा दिया। इस पर पुलिस कर्मियों ने दो-चार यात्रियों को डंडे मार दिए। वहाँ तैनात आईपीएस अधिकारी आशीष को यात्रियों से माफी भी मांगनी पड़ी। उन्होंने तीन बार ‘आईएम सॉरी’ कहकर यात्रियों को शांत किया।
हम यह जानना चाह रहे थे कि जब पर्याप्त टैक्सियां नहीं थी तो हमें बेसकैम्प से बाहर क्यों निकाला? बाहर से वापस बेसकैम्प में एंट्री क्यों नहीं दी जा रही? अगर हम होटलों में भी जाना चाहें तो भी हमें विपरीत दिशा में नहीं जाने दिया जा रहा है? लेकिन आईपीएस आशीष कोई जवाब नहीं दे रहे थे, सिर्फ हमें सड़क के दोनों तरफ वाहनों के गुजरने के लिए रास्ता छोड़ने की कह रहे थे।

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करीब दो घण्टे बाद बाड़ हटाकर सभी यात्रियों को होटलों की तरफ जाने दिया गया। उस समय तक चन्दनबाड़ी का गेट बंद हो चुका था और टैक्सियां भी नहीं आ रही थीं। अफसरों ने यात्रियों को यह नहीं बताया कि पर्ची सिस्टम बदलने के कारण आज ज्यादातर होटलों में ठहरे यात्री ही चन्दनबाड़ी पहुंच सके थे। टैक्सी यूनियन ने हड़ताल कर दी थी। आज केवल बाहर ठहरे यात्री ही चन्दनबाड़ी पहुंच सके थे। बेसकैम्प वाले ज्यादातर यात्री वही बाहर ही अटक गए थे।

पौने दस बजे ही गेट बंद किए

जैसे-तैसे एक टैक्सी लेकर हम 9 यात्री जिनमें 2 महिलाएं भी थीं, सुबह पौने दस बजे चन्दनबाड़ी पहुंच गए, लेकिन उससे पहले ही वहां तैनात जवानों ने टैक्सी को यह कहकर वापस नीचे लौटा दिया कि आज गेट जल्दी बंद हो गया है। निराश होकर हम नीचे लौटे और होटल में रात बिताई। इससे पहले शाम को हम टैक्सी स्टैंड पहुंचे, जहां यूनियन वालों ने बताया कि अगली सुबह टैक्सियां चलेंगी या नहीं , यह तय नहीं है। उन्होंने नए पर्ची सिस्टम के विरोध में हड़ताल कर दी है। शाम को प्रशासन से वार्ता के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी।

14 जुलाई को भी बिगड़ी स्थिति

14 जुलाई की सुबह होटलों में ठहरे हजारों यात्री बेसकैम्प के बाहर टैक्सी लेने एकत्र हुए तो पुलिस ने यह कहकर एक गार्डन में भर दिया कि गार्डन के दूसरे गेट से टैक्सियों में छोड़ा जाएगा। जैसे ही सभी यात्री गार्डन में घुसे कि ताला लगाकर सभी यात्रियों को गार्डन में बंधक बना लिया। यात्रियों को अंगेज रखने के लिए दूसरे गेट पर चार-पांच टैक्सियां बुलाई और एक-दो यात्रियों को बाहर निकालकर वापस गेट बंद कर रहे थे।
पुलिस की पॉलिसी से यही लग रहा था कि वह गेट नहीं खोलना चाह रहे थे। इसी बीच बेसकैम्प के यात्रियों को चन्दनबाड़ी के लिए छोड़ दिया। इधर दो घण्टे तक गार्डन में गेट के पास हजारों यात्रियों की भीड़ रही जिसमें धक्का मुक्की होती रही। कई महिलाएं, किशोरियां और बुजुर्ग भी भीड़ में फंसे रो रहे थे। हम भी घबराकर बड़ी मुश्किल से भीड़ से बाहर निकले और यात्रा अधूरी छोड़कर लौटने का फैसला किया।
इसके बाद गार्डन में बंधक बने सभी यात्रियों को चन्दनबाड़ी भेजा जाने लगा। हम जैसे सैकड़ों यात्री यह सोचकर टैक्सियों में नहीं बैठे कि यहाँ की हजारों की भीड़ को ऊपर भेजा जा चुका है तो ऊपर शेषनाग में जबरदस्त अव्यवस्था होगी। ऊपर से बारिश का अलर्ट भी था। चूंकि अफसरों को आदेश मिला था कि आज बेसकैम्प को खाली कराना है और बाहर होटल में फंसे यात्रियों को भी ऊपर भेजना है, सो ज्यादातर यात्रियों को चन्दनबाड़ी भेज दिया गया।
गार्डन से निकलकर हम बेसकैम्प के मुख्य द्वार पर पहुंचे। वहां पुलिस के एक अफसर को बताया कि हम यात्रा अधूरी छोड़कर जेकेएसआरटीसी की बस से जम्मू लौटना चाहते हैं। तो उस अफसर ने यह कहकर गुमराह किया कि अभी 11 बजे यहां बाहर से रोडवेज बस मिलेगी, इसलिए एक तरफ खड़े हो जाओ। हमने कहा-हमें बेसकैम्प में जाने दीजिए, हम कल सुबह कॉन्वॉय के साथ जम्मू लौट जाएंगे लेकिन हमें बेसकैम्प में नहीं लौटने दिया।
बाद में जैसे तैसे हम बेसकैम्प में पहुंचे। दोपहर 2 बजे जम्मू की टिकट कटवाई। रात टेंट में रुके और 15 जुलाई की सुबह कॉन्वॉय के साथ जम्मू के लिए रवाना हुए।

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