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बत्तियां देकर लगाई अजमेर को बत्ती!

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नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। मंत्री से तो विधायक ही कई गुना बेहतर। सुनने में यह अजीब लगे लेकिन राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी अजमेर के साथ तो यही हो रहा है। दूसरी जगह अदद विधायक जितनी लगन से अपने इलाके का विकास करा रहे हैं, ठीक उसके उलट यहां के मंत्री एक पार्षदी मानसिकता से ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाए हैं। यही वजह है कि अजमेर जिले को एक-दो नहीं बल्कि पांच-पांच लाल बत्तियां मिलने के बावजूद अब तलक अपने वोट गंवाने पर पछताना पड़ रहा है।
केन्द्र में सांवरलाल जाट, राज्य सरकार में दो राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल, राज्य में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संसदीय सचिव सुरेश ङ्क्षसह रावत और धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार ङ्क्षसह लखावत। ये पांचों लालबत्ती लगी गाड़ी में भले ही घूम रहे हों लेकिन अजमेर के लिए कुछ खास नहीं कर सके। यहां की जनता की उम्मीदों का दीया पूरी तरह बुझ चुका है। खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केवल बत्तियां बांटकर अजमेर की उम्मीदों को बत्ती लगा दी।
फ्लाई ओवर ब्रिज तक नहीं मिला
बरसों से स्टेशन रोड पर बदहाल यातायात व्यवस्था में रेंग रहे शहरवासियों को इतनी उम्मीद तो थी कि अजमेर के लाल स्टेशन रोड पर फ्लाई ओवर ब्रिज बनवाकर यातायात समस्या का कुछ तो हल निकलवा सकेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। फ्लाई ओवर के सर्वे के लिए कंसल्टेंट कंपनी को लाखों रुपए देने के बाद नतीजा सिफर रहा। राज्य सरकार ने एफओबी के लिए रोकड़ा देने से साफ इनकार कर दिया। यानी एफओबी के सर्वे के लिए अजमेर विकखस प्राधिकरण ने कंसल्टेंट फर्म को लाखों रुपए फीस चुकाई वह गड्ढे में गई।
आपसी लड़ाई में व्यस्त
मंत्री देवनानी और अनिता भदेल आपसी अहं की लड़ाई में इस कदर व्यस्त है कि अपने-अपने क्षेत्र की बदहाली की तरफ उनका ध्यान नहीं है। मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल गठन के समय दोनों को बराबर वेटेज देने के लिए पहली
बार भ्भदेल को भी राज्यमंत्री बना दिया जबकि देवनानी पिछली वसुंधरा सरकार में भी राज्यमंत्री रहे थे। इस लिहाज से उन्हें अबकी बार केबिनेट मंत्री बनाया जाना चाहिए था लेकिन भदेल से मामला बैलेंस करने के लिए उन्हें दोबारा राज्यमंत्री बना दिया गया। मगर नतीजा उलट रहा। इस बैलेंसबाजी के चक्कर में दोनों की लड़ाई और अनबैलेंस होती गई। नौबत यह आ गई कि अब दोनों की लालबत्ती छिनने वाली है।
पुष्कर से आगे जहां और भी है…
उधर, धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष लखावत को पूरा ध्यान बूढ़ा पुष्कर के विकास पर है। हालांकि जनता ने इस काम के लिए पुष्कर विधायक एवं संसदीय सचिव सुरेश रावत को चुनकर भेजा है। खैर तीर्थनगरी की सेवा में दोनों जुटे हैं। इतने ज्यादा जुटे हैं कि इसके अलावा उन्हें कहीं कुछ नहीं सूझ रहा। रावत फिलहाल मुख्यमंत्री के चहेते बने हुए हैं मगर अपने समाज के आगे उन्हें दूसरे समाज फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं जबकि पुष्कर में पुरोहितों और मालियों की खासी तादाद है।
बेमन का पांवणा
आखिरी बत्ती बची दिल्ली वाले सांवरलाल जाट की जो बेमन से केन्द्र में मंत्री बने हुए हैं। उनका पूरा जी अभी भी अजमेर के गांवों में ही अटका हुआ है यह अलग बात है कि वह भी ग्रामीणों के लिए कुछ खास नहीं कर सके। गांव-गांव घूमकर उनके पास ग्रामीणों के सामने गिनाने को कुछ नहीं है। इसलिए वह प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना का ही गुणगान करते रहते हैं। हालांकि यह योजना लागू चुकी है मगर यहां के किसानों को अब भी खराबा होने पर मुआवजे के लिए नौ-नौ आंसू रोने पड़ रहे हैं। गिरदावरी रिपोर्ट में खराबा क्यों नहीं दर्शाया जाता, क्यों एमएलए को विधानसभा में खराब फसल बतौर सबूत लेकर जाना पड़ता है।
बहरहाल पांच बत्ती में दो कम हो जाने से अजमेर की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि फर्क तो उसका पड़ता है जो किसी करम का हो।

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